पटना। बिहार में आज सबकी नजर नीतीश कुमार के खिलाफ जेडीयू में आवाज उठाने वाले उपेंद्र कुशवाहा पर है। उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू के हालात पर चिंतन के लिए आज और कल यानी 20 फरवरी को दो दिन की बैठक बुलाई है। इस बैठक के जरिए उपेंद्र कुशवाहा अपनी ताकत का अहसास नीतीश कुमार को कराने की कोशिश में हैं। जाहिर तौर पर नीतीश कुमार और उनके करीबी जरूर इस पर नजर गड़ाए होंगे कि अपनी चिंतन बैठक में उपेंद्र कुशवाहा कितने समर्थक नेताओं और कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करते हैं। इससे ही तय होगा कि जेडीयू में नीतीश का दबदबा अभी कायम है या उपेंद्र कुशवाहा के अलावा नाराज होने वाले नेताओं की तादाद ज्यादा है।
उपेंद्र कुशवाहा ने इस साल की शुरुआत से ही नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। दरअसल, बीते दिनों जब कुशवाहा बीमार होकर दिल्ली के एम्स में भर्ती हुए थे, तो बिहार बीजेपी के कई नेता उनसे मिलने गए थे। इसके बाद ही चर्चा उड़ी कि उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर बीजेपी के पाले में जा सकते हैं। इस बारे में पूछे जाने पर नीतीश कुमार ने कहा था कि जिसका जहां मन हो वहां जा सकता है। नीतीश के बयान पर उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कहा था कि बिना हिस्सा लिए वो जाने वाले नहीं हैं। जेडीयू उनकी भी पार्टी है। इसके बाद से ही नीतीश और उपेंद्र के बीच बयानों की जंग छिड़ी थी। अब सबकी नजर इस पर है कि उपेंद्र कुशवाहा आज से होने वाले चिंतन शिविर में नीतीश को कितनी ताकत दिखाते हैं।
उधर, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी नीतीश कुमार पर निशाना साधना जारी रखा है। बिहार में जन सुराज यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने अब कहा है कि नीतीश नहीं, बल्कि सहयोगी आरजेडी के पास ही बिहार सरकार की कमान है। सीवान में प्रशांत किशोर ने बिहार में इसी वजह से जंगलराज लौट आने का आरोप लगाया। प्रशांत ने ये आरोप भी लगाया कि जातीय सर्वे के जरिए जेडीयू और आरजेडी किसी वर्ग का भला नहीं करना चाहते। इस सर्वे के जरिए वे समाज में उन्माद फैलाकर राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते हैं।