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Scientist Salary in ISRO: कितनी होती है इसरो वैज्ञानिकों की सैलरी? जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

नई दिल्ली। बहुधा भारत में राजनीतिक, सिनेमा और खेल को लेकर प्रमुखता से विचार-विमर्श किया जाता रहा है, लेकिन अफसोस आज तक विज्ञान पर कभी-भी व्यापक पर स्तर पर चर्चा करने की जरूरत महसूस नहीं की गई, लेकिन बीते दिनों भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित कर पूरी दुनिया को जिस तरह अचंभित किया है, उसके बाद से सभी भारतीय वैज्ञानिकों की काबिलियत को सलाम कर रहे हैं। यहां तक की पाकिस्तान और नासा भी भारतीय वैज्ञानिकों के आगे अपने घुटने टेकने पर आमादा हो चुके हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग को लेकर बधाई दी। इससे पहले पाकिस्तानी सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने पाकिस्तानी मीडिया से ताकीद की थी कि को वो भारत के चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव दिखाए।

वहीं, अब चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद भारत में भी विज्ञान और वैज्ञानिकों को लेकर चर्चा का बाजार गुलजार हो चुका है। विज्ञान को लेकर भी अब राजनीति हो रही है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच श्रेय लेने होड़ मच गई है। दोनों ही पार्टियों के बीच अब इस बात को लेकर जुबानी जंग छिड़ चुकी है कि किसने वैज्ञानिकों के हित में कितना काम किया। इस बीच एक मुद्दा काफी तेजी से चर्चा में बना हुआ है और वो मुद्दा है, इसरो वैज्ञानिकों की कम सैलरी।

जी हां…दरअसल, बताया जा रहा है कि इसरो वैज्ञानिकों को कम सैलरी दी जाती है। दुर्भाग्यवश हमारे वैज्ञानिकों को उनके प्रतिभा के अनरूप वेतन प्रदान नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से अधिकांश वैज्ञानिक अमेरिका के स्पेस सेंटर नासा काम करने के चले जाते हैं। ऐसा करके हम अपने देश की बहुमूल्य प्रतिभा को खो दे रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इन बहुमूल्य प्रतिभा को संरक्षित करने की दिशा में काम करें। आइए, सामने आए आंकड़ों के आधार पर आपको बताते हैं कि वर्तमान में इसरो वैज्ञानिकों को कितना वेतन प्रदान किया जाता है। ध्यान दें, न्यूज रूम पोस्ट इन आंकड़ों की पुष्टि अपनी तरफ से नहीं करता है। आपको बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी की इसरो में बतौर विज्ञानी काम करना हर किसी का ख्वाब होता है, लेकिन अफसोस बहुत कम लोगों का यह ख्वाब मुकम्मल हो पाता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि यह सपना साकार होने के बाद हमारे वैज्ञानिकों को उनके मनमाफिक वेतन नहीं प्रदान किया जाता है, जो कि बहुत दुखद है।


वहीं, अगर सामने आए इन आंकड़ों पर नजर डाले, तो इसरो में काम करने वाले वैज्ञानिकों की बेसिक सैलरी औसतन 15,600 से लेकर 39,100 रूपए है। हालांकि, कुछ वर्षों का अनुभव प्राप्त करने के बाद सेलरी का यह आंकड़ा को 70 से 80 हजार के करीब पहुंच जाता है। दरअसल, इसरो में काम करने वाले वैज्ञानिकों की सैलरी कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें प्रमुख रूप से उनकी शैक्षिक योग्यता, किसी विशेष क्षेत्र में उनका अनुभव, उनकी कार्यकुशलता व प्रभावशीलता सहित अन्य कारक किसी-भी वैज्ञानिक की सैलरी निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। वहीं, आप सैलरी का पूरा फिगर नीचे लगे आंकड़ों में देख सकते हैं। खैर, सरकार को चाहिए जो वैज्ञानिक दिन रात कड़े परिश्रम से विश्व फलक पर भारत का मस्तक ऊंचा करने के लिए काम कर रहे है, उनके कम  वेतन का संज्ञान लें।

 

बता दें, बीते दिनों इसरो वैज्ञानिक की कम सैलरी के मुद्दे को लेकर राजनीति भी शुरू हुई थी। दरअसल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने वैज्ञानिकों की कम सैलरी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार पर दोष भी मढा था, लेकिन बाद में बताया गया कि दिग्विजय द्वारा दी गई जनकारी झूठी है। उसमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है।

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