News Room Post

J&K: जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान का एजेंडा सेट करते रहे अली शाह गिलानी, जनता ने दिखा दिया था ठेंगा

gilani

gilani

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान का एजेंडा सेट करने वाले और दुश्मन देश की आवाज सैयद अली शाह गिलानी जिंदगी भर बने रहे। 2019 में हालांकि अनुच्छेद 370 और 35-ए के रद्द होने के बाद ये पाकिस्तान परस्त आवाज शांत हो गई थी। बहरहाल, 92 साल की उम्र में सैयद अली शाह गिलानी बुधवार शाम दुनिया से रुख्सत हो गए। गिलानी ने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला। पाकिस्तान ने अपनी इस कठपुतली को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया था। बावजूद इसके गिलानी और हुर्रियत के तमाम नेता आतंकवाद के खिलाफ न बोलकर आम जनता के बीच विलेन बन गए थे। यहां तक कि एक बार गिलानी ने जब कश्मीर में चुनाव के खिलाफ एलान किया था, तो लोगों ने उनका ही बायकॉट कर दिया था।

ये साल 2014 की बात है। जब जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों में हिस्सा न लेने का संदेश सैयद अली शाह गिलानी ने जनता को दिया था। गिलानी के इस एलान के बाद आतंकियों ने तमाम लोगों की हत्या भी की थी। फिर भी गिलानी और पाकिस्तान की ये चाल कामयाब नहीं हुई। 65 फीसदी से ज्यादा लोगों ने वोट डालकर दिखा दिया कि वे गिलानी जैसे पाकिस्तानी पिट्ठू से बिलकुल भी सहमत नहीं हैं। इससे पहले ये हालत थी कि गिलानी अगर घाटी में बंद का एलान कर देते थे, तो हर तरफ सन्नाटा छा जाता था। गिलानी पर लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद से रकम लेने का भी आरोप लगा। उनके समेत हुर्रियत के तमाम नेताओं से सरकारी एजेंसियों ने इस मामले में पूछताछ भी की थी।

श्रीनगर के हैदरपोरा में गिलानी का घर है। 1929 में पैदा हुए सैयद अली शाह गिलानी ने पाकिस्तान के लाहौर से पढ़ाई की थी। तीन बार वह अपने गृह जिले सोपोर से एमएलए भी बने, लेकिन हमेशा भारत के खिलाफ आग उगलना उनकी फितरत रही। गिलानी ने कभी भी जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं माना। बीते दिनों जब खबर आई कि हुर्रियत नेताओं को सरकार UAPA कानून के तहत प्रतिबंधित कर गिरफ्तार कर सकती है, तो गिलानी के घर पर लगे संगठन के बोर्ड को उतार लिया गया था। गिलानी हमेशा भारत का विरोध करते रहे, लेकिन एक बार पासपोर्ट जब नहीं मिला, तो उन्हें लिखकर देना पड़ा कि वह भारत के संविधान में आस्था रखते हैं। इसके बाद ही पाकिस्तान ने उन्हें डंप कर दिया था।

Exit mobile version