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Live in Relationship: अगर लिव इन में रहने वाली महिलाओं ने जान ली ये बातें, तो नहीं होंगी कभी अपनी पार्टनर की क्रूरता का शिकार

नई दिल्ली। जहां एक तरफ श्रद्धा मर्डर केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया तो वहीं दूसरी तरफ लिव इन रिलेशनशिप को लेकर चर्चा का पारा बढ़ा दिया। वजह है श्रद्धा और आफताब का रिलेशनशिप में रहना। हालांकि, श्रद्धा के पिता को इस रिश्ते से आपत्ति थी, लेकिन श्रद्धा यह कहकर अपना घर छोड़कर चली गई कि मैं अब 25 साल की हो चुकी हूं, लिहाजा मैं अपने हित में फैसले ले सकती हूं। वहीं इस पूरे मामले ने पेरेटिंग को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लिव इन में तीन सालों तक साथ रहने के बाद जब श्रद्धा ने आफताब से शादी करने को कहा तो उसने ना महज मना किया, बल्कि श्रद्धा के साथ अमानवीय व्यवहार भी किया। जिसकी बानगी हमें बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर के रूप में देखने को मिली थी, जिसमें श्रद्धा के चेहरे पर चोट के निशान आफताब की क्रूरता बयां कर रहे थे।

 

ध्यान दीजिएगा…साल 2019 में श्रद्धा और आफताब ने लिव में रहना शुरू कर दिया था। और साल 2020 में ही आफताब अपनी क्रूरता की हदों को पार करने पर आमादा हो गया जिससे यह साफ जाहिर होता कि उसने कभी श्रद्धा से नहीं, बल्कि उसके जिस्म से प्यार किया था। इतना ही नहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया है कि अपनी बेटी की खुशी के लिए श्रद्धा के पिता उसकी आफताब से शादी कराने के लिए तैयार भी हो चुके थे, लेकिन आफताब के परिवार वाले इसके लिए राजी नहीं हुए। एक मर्तबा जब श्रद्धा के पिता इस मसले पर बात करने आफताब के घर गए तो उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया।

इस बीत आफताब की क्रूरता अपने चरम पर पहुंच चुकी थी। वहीं, श्रद्धा फोन पर अपनी मां से आफताब द्वारा किए जा रहे हैवानियत के बारे में भी बताती थी। जिस पर उसकी मां उसे घर आने के लिए कहती थी, लेकिन लोग क्या कहेंगे के डर से वो घर नहीं गई। हालांकि, जब उसकी मां का निधन हुआ, तो वो अपने घर गई थी, जिसके बाद वापस आफताब के पास आ गई और फिर से दोनों के बीच लड़ाई झगड़े का सिलसिला शुरू हो गया।

गत 17 मई को श्रद्धा ने आफताब के समक्ष फिर से शादी का प्रस्ताव रखा, तो आफताब ने उसका गला ही दबा दिया। जिसके बाद उसकी मौत हो गई। मौत के बाद श्रद्धा के शव को ठिकाने लगाने के लिए आफताब ने उसके 35 टुकड़े कर महरौली के जंगलों में फेंक दिया। जिसकी तलाश में पुलिस जुट चुकी है। अब तक पुलिस को 13 हड्डियां मिल चुकी हैं। उधर, इस पूरे मामले के बाद देशभर में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर चर्चा अपने चरम पर है। सभी इस पर अपनी-अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। कोई इसका विरोध कर रहा है, तो कोई समर्थन। साल 2018 में लिव इन को लेकर सर्वे किया गया था। जिसमें यह खुलासा हुआ था कि 80 फीसद लोगों ने लिव इन का सपोर्ट किया था और 20 फीसद लोगों ने विरोध। सभी के अपने तर्क थे।

क्या लिव इन में रहना अपराध है?

वहीं, श्रद्धा मर्डर केस के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या लिव इन में रहना अपराध है, तो देखिए कानून में इस तरह का कोई प्रावधान तो नहीं है कि लिव इन में रहना अपराध। देशभर में ना जाने कितने ही ऐसे लोग हैं, जो आपसी सहमति से लिव इन में रहते हैं। यही नहीं, आज से 16 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी की थी। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि कोई भी बालिग कपल आपसी सहमति से लिव इन में रह सकता है। यह अपराध की श्रेणी में नहीं है और ना ही इसे लेकर कोई कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं।

कुछ लोगों को यह गलत लग सकता है, लेकिन कोर्ट ने इसे नैतिक माना है। अगर कोई व्यक्ति बिना तलाक लिए लिव इन में रहता है, तो उसे अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। गत वर्ष पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने भी अपनी टिप्पणी में कहा था कि लिव इन में रहना अपराध नहीं है। कोई भी बालिग स्वेच्छा से एक साथ एक छत के तले रह सकते हैं।

लिव इन में महिलाओं को मिलने वाले अधिकार

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, लिव इन में रहने वाली 16 फीसद महिलाएं अपने पार्टनर द्वारा यौन हिंसा का शिकार होती हैं। लिव इन में रहने वाली महिलाओं को अगर उनका पार्टनर छोड़ देता है, तो उन्हें भी शादीशुदा औरतों की तरह गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। आईपीसी की धारा 125 के तहत लिव इन में रहने वाली महिलाओं को भी गुजारा भत्ता देने का अधिकार दिया गया है। यही नहीं, मनोचिकित्सकों ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि लिव इन में रहने वाले पुरुष ज्यादा क्रूर हो जाते हैं और धीरे-धीरे उनका अपने पार्टनर के प्रति दिलचस्पी खत्म हो जाती है।

पैतृक संपत्ति का अधिकार

लिन इन में रहने वाले किसी कपल को बच्चा होता है, तो उसे अपने पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार मिलेगा। इसी संदर्भ में बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था। दरअसल, लिव इन में रहने वाली एक महिला ने कोर्ट से अपने बच्चे के लिए पिता की संपत्ति में बराबर की संपत्ति का अधिकार मांगा था। मामला पहले केरल हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इनकार कर दिया। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट ने पुहंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए महिला के बच्चे को समान संपत्ति देने का फैसला सुनाया।

कोई इसे सही बताने पर तुल गया है, तो कोई गलत। वहीं, अगर श्रद्धा केस में पुलिस कार्रवाई की बात करें, तो कोर्ट ने आरोपी आफताब की पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मंजूरी दे दी है, तो अब उसका नार्को टेस्ट से पहले पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा, ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सकें, क्योंकि आफताब पुलिस पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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