नई दिल्ली। सरकारी आवास के स्टोर रूम में कैश जलने के मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार संसद के मॉनसून सत्र में महाभियोग लाने की तैयारी में है! जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए प्रस्ताव पर लोकसभा के 100 और राज्यसभा के कम से कम 50 सदस्यों के दस्तखत होने जरूरी हैं। केंद्र सरकार के पास दोनों सदनों में इतनी संख्या है, लेकिन बताया जा रहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सरकार विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर सर्वसम्मति बनाएगी। ताकि पूरा मामला निष्पक्ष रहे। कैश जलने के मामले में चूंकि यशवंत वर्मा ने इस्तीफा नहीं दिया है, इसलिए उनको हटाने के लिए अब महाभियोग ही रास्ता है।
संसद के दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव अगर दो-तिहाई बहुमत से पास होता है, तभी जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए अगला कदम उठाया जा सकेगा। संसद से महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद सीजेआई से लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति जांच के लिए कमेटी बनाने का अनुरोध करेंगे। इस जांच कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज, किसी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक नामचीन वकील को रखा जाएगा। जांच कमेटी में शामिल करने के लिए सरकार की तरफ से संबंधित वकील का नाम दिया जाएगा। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कदाचरण की जांच ये कमेटी करेगी और फिर उसकी रिपोर्ट के आधार पर पद से हटाने या न हटाने का फैसला राष्ट्रपति की तरफ से किया जाएगा।
जस्टिस यशवंत वर्मा का कहना है कि दिल्ली स्थित आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात लगी आग में जो कैश जला, उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने खिलाफ साजिश का शक जताया है। वहीं, सूत्रों के हवाले से पहले मीडिया में खबर आई थी कि पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की बनाई 3 जजों की जांच कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी पाया। जिसके बाद संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा को 9 मई तक इस्तीफा देने या महाभियोग का सामना करने के लिए कहा था। जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। अब महाभियोग चलाए जाने पर संसद की जांच कमेटी के सामने जस्टिस यशवंत वर्मा अपने वकील के जरिए पक्ष रख सकेंगे।