नई दिल्ली। मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने वक्फ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती तो दी है, लेकिन साथ ही वे इसकी काट निकालने के तौर-तरीकों पर भी विचार कर रहे हैं। दिल्ली में रविवार से चल रही जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में इस बारे में चर्चा होने की खबर है। मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में जमीयत की बैठक हुई। इस बैठक में वक्फ संशोधन कानून से मुस्लिमों को होने वाली दिक्कतों और इसके असर पर काफी चर्चा की खबर है। इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में ये चर्चा भी हुई कि वक्फ कानून पर आगे की रणनीति क्या हो?
न्यूज चैनल आजतक के मुताबिक जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में कुछ सदस्यों ने वक्फ की काट के तौर पर ट्रस्ट बनाने की बात उठाई। दरअसल, वक्फ संशोधन कानून के जरिए केंद्र सरकार ने प्रावधान किया है कि वक्फ बोर्डों और वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिम सदस्य भी होंगे। अगर मुस्लिम अपनी धर्मार्थ जमीनों को वक्फ से निकालकर ट्रस्ट में डालते हैं, तो उसमें गैर मुस्लिम सदस्यों को लेना जरूरी नहीं होगा। इसके अलावा जमीयत की बैठक में इस पर भी गहन विचार हुआ कि वक्फ संशोधन कानून से यूपी और बिहार के मुस्लिमों पर कितना असर पड़ेगा? मुस्लिम शासकों के जमाने से वक्फ की गई संपत्तियों पर संशोधित कानून के असर पर भी जमीयत के सदस्यों में चर्चा हुई।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बैठक में ये तय किया कि आम मुस्लिमों को वक्फ संशोधन कानून पर बहुत ज्यादा चिंता में न डाला जाए। साथ ही ये भी तय हुआ है कि नए वक्फ कानून से मुसलमानों की नाराजगी का फायदा किसी राजनीतिक दल को न उठाने दिया जाए। जमीयत के नेता मुसलमानों तक ये संदेश भी पहुंचाएंगे कि वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ क्या रास्ते हैं। साथ ही सरकार पर दबाव बनाने के तौर-तरीकों पर भी जमीयत की बैठक में चर्चा हुई। इससे पहले रविवार को जमीयत के नेता मौलाना महमूद मदनी ने कहा था कि वक्फ कानून का विरोध करते रहेंगे और इसके लिए जरूरत पड़ने पर कुर्बानी भी देंगे। मौलाना महमूद मदनी ने ये भी कहा था कि वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाए।