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Uttar Pradesh CM’s: लोकप्रिय मुख्यमंत्री के मामले में अखिलेश यादव, मायावती को पीछे छोड़ योगी बने नंबर वन

Akhilesh Yadav Yogi Adityanath Mayawati

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके द्वारा 4 साल में किए गए कामों के लिए लोग उन्हें खासा पसंद करते हैं। यहां तक कि लोकप्रियता के मामले में वे अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों सपा के अखिलेश यादव और बसपा की मायावती को काफी पीछे छोड़ चुके हैं। अपराध और भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने से लेकर रोजगार के अवसर पैदा करने, बिजली, पानी और सड़क जैसे बुनियादी ढांचे का विकास करने जैसे कई मामलों में राज्य के अधिकांश लोगों ने अखिलेश और मायावती की तुलना में योगी को राज्य के ‘सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री’ का दर्जा दिया है।

योगी आदित्यनाथ के नाम से मशहूर गोरखनाथ मंदिर के 44 वर्षीय प्रमुख और गोरखपुर से 5 बार के सांसद ने 19 मार्च, 2017 को उत्तर प्रदेश के 32 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनसे पहले अखिलेश यादव ने 15 मार्च, 2012 से 19 मार्च, 2017 तक (5 साल 4 दिन) और मायावती ने 13 मई, 2007 से 15 मार्च, 2012 (4 साल 307 दिन) तक यह कुर्सी संभाली थी। मायावती 4 बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।

8 मार्च से 15 मार्च के बीच उत्तर प्रदेश में 15,700 से ज्यादा लोगों पर किए गए आईएएनएस सी-वोटर रिपोर्ट कार्ड 2021 सर्वे में 40.2 फीसदी लोग योगी को राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के मामले में सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री मानते हैं। जबकि अखिलेश को 29.6 फीसदी और मायावती को 20.7 फीसदी लोगों ने यह दर्जा दिया। हालांकि, 9.6 प्रतिशत लोगों ने इस बारे में कुछ न कहने का विकल्प चुना।

वहीं अपराध को नियंत्रित करने के मामले में उत्तर प्रदेश में योगी को 53.9 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया। वहीं इस विषय पर मायावती को अपनी पसंद बताने वाले लोगों का प्रतिशत 24.7 प्रतिशत और अखिलेश के लिए 17.4 प्रतिशत रहा।

वहीं भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के मामले में 57 प्रतिशत लोगों ने योगी को सक्षम बताया। वहीं मायावती को 24.3 प्रतिशत और अखिलेश को 18.7 प्रतिशत लोगों ने मत दिया।

इसके बाद बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास के मामले में भी योगी को 53.4 प्रतिशत लोगों ने अपनी पंसद बताया। वहीं इस मामले में अखिलेश यादव को 28 फीसदी और मायावती को 13.2 फीसदी समर्थन मिला। वहीं 5.3 प्रतिशत ने टिप्पणी न करने का विकल्प चुना।

इस सर्वे में पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा और अन्य क्षेत्रीय दलों को वोट देने वाले लोग शामिल रहे।

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