News Room Post

Ajab Gajab News: राजस्थान के इस मेले में महिलाएं सज-धज कर बरसाती हैं कुंवारे लड़कों पर लाठी-डंडे, दूर-दूर से डंडे खाने आते हैं लोग

नई दिल्ली। भारत देश अपने आप में ही अनोखा देश है जहां हर राज्य में अलग ही मान्यता और रीति रिवाज हैं। हर रीति रिवाज को कायदे से पूरा किया जाता है। जहां बात खुद भगवान की हो तो लोग पूरे हर्षोल्लास से त्योहार और मान्यताओं को पूरा करते हैं। आज हम आपको जोधपुर की एक ऐसी मान्यता के बारे में बताने वाले हैं जिसे सुनकर आपको एक बार को यकीन नहीं होगा लेकिन  देश का एक नया पहलू जरूर देखने को मिलेगा। जोधपुर में मान्यता है कि एक खास दिन महिलाओं के हाथों से लाठी-डंडे खाने से कुंवारे लड़कों का विवाह हो जाता है। ये अनूठी परंपरा धींगा गवर मेले यानी बेंतमार गणगौर में निभाई जाती है।

महिलाएं सज धज कर बरसाती हैं लाठी-डंडे

मान्यता है कि इस दिन खुद भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती धरती पर मानव अवतार में आए थे और गांव के लोगों के उनका खूब आदर सत्कार किया था। सुहागिनों से लेकर विधवा औरतों तक ने मां पार्वती की पूजा की थी। इससे पहले कभी विधवा महिलाओं को गणगौर पूजा का अवसर देने के लिए यह पर्व शुरू हुआ था जिसने अब मेले का रूप ले लिया है। अब इस पर्व में विधवा महिलाओं के साथ कुंआरी लड़कियां और विवाहित महिलाएं भी शरीक होती हैं और गणगौर पूजा करती हैं। इस महिलाएं व्रत रख रात में सज-धज कर बाहर निकलती हैं और उनके हाथ में एक बेतियां यानी डंडा होता है। मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर महिलाएं गणगौर माता की पूजा करती हैं, नाचती-गाती हैं।

दूर-दूर से मेले में डंडे खाने आते हैं कुंवारे लड़के

महिलाएं मेले में मिलने वाले कुंवारों पर डंडे भी बरसाती हैं। इसके बाद महिलाएं घर पहुंचकर पूजा पाठ करती हैं और अपने व्रत को पूरा करती हैं। गणगौर पूजने वाली महिलाएं और मेले में आए पुरुष सभी सुनारों की घाटी में विराजित की जाने वाली गणगौर की प्रतिमा की दर्शन जरूर करते हैं।खास बात ये है कि इस मान्यता के चलते दूर-दूर से युवक मेले में आते हैं और महिलाओं से बेंत की मार खाते हैं। वे महिलाओं को बेंत मारने के लिए उकसाते भी हैं। मेले में हजारों लड़के पहुंचते हैं।

Exit mobile version