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सीमा विवाद के बीच वायुसेना प्रमुख ने चीन को दी चेतावनी, दिया अहम बयान

नई दिल्ली। सीमा विवाद के बीच भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने चीन को दो टूक जवाब दिया है। एयरचीफ मार्शल भदौरिया ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि शहीद जवानों की शहादत बेकार नहीं जाने देंगे। आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए, जबक‍ि चीन को भी भारी नुकसान हुआ है। चीन के 43 सैनिक हताहत हुए हैं।

भारतीय वायु सेना के प्रमुख आर.के.एस. भदौरिया ने शनिवार को कहा है कि भारतीय सशस्त्र बल किसी भी आकस्मिकता या अनिश्चित घटना का जवाब देने के लिए अच्छी तरह से तैयार है और आकस्मिक तैनाती के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर जो स्थितियां हैं उसमें जरूरी है कि “हमारे सशस्त्र बल हर समय तैयार और सतर्क रहें।”

वायुसेना प्रमुख हैदराबाद के डुंडीगल वायु सेना अकादमी में कम्बाइंड ग्रेजुएशन परेड में बोल रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर होने वाले घटनाक्रम एक छोटे से स्नैपशॉट हैं कि जो बताते हैं कि “छोटे नोटिस पर स्थितियिां संभालने के लिए हम वहां आवश्यक हैं”।

उन्होंने कहा, “सैन्य वार्ता और समझौतों के बाद भी चीन की ओर से की गई हिंसा अस्वीकार है, जिसके कारण इतनी जिंदगियां खत्म हुईं। इसके बाद भी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास चल रहे हैं कि एलएसी में मौजूदा स्थिति को शांति से हल किया जाए, लेकिन यह बहुत स्पष्ट होना चाहिए कि हम किसी भी अनिश्चित घटना का जवाब देने के लिए कहीं भी तैनात होने और कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”

एयर चीफ मार्शल ने कहा, “मैं राष्ट्र को विश्वास दिलाता हूं कि हम गलवान में शहीद हुए बहादुरों के बलिदान को कभी व्यर्थ नहीं जाने देंगे।”

उन्होंने कर्नल संतोष बाबू समेत सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने गलवान घाटी में एलएसी का बचाव करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। साथ ही कहा, “अत्यधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति में किए गए वीरतापूर्ण कार्यों ने हर स्थिति और कीमत पर हमारे देश की संप्रभुता की रक्षा करने हमारे संकल्प को दर्शाया है।”

उन्होंने कैडेट्स को संबोधित करते हुए आगे कहा, “हम हाईली ऑटोमेटेड एन्वायरंमेंट में भविष्य की लड़ाइयों को अत्याधुनिक तकनीकों, हथियार प्रणालियों और सेंसर के उपयोग के साथ लड़ेंगे, जिनमें से अधिकांश स्वदेशी होंगे।”

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