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IAF’s BrahMos Test: भारत को आंख दिखाने वालों की खैर नहीं, IAF की स्पीड हुई घातक, जानें इसकी खूबी

नई दिल्ली। इधर पाकिस्तान तो उधर चीन की बढ़ती विस्तारवादी नीतियों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार खुद को सामरिक मोर्चे पर इतना संबल कर लेना चाहती है कि अगर निकट भविष्य में कभी-भी किसी दुश्मन देश की तरफ से कोई नापाक करतूत की गई तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिल सकें। गत दिनों भारतीय वायुसेना ने इसी दिशा में बड़ा कदम उठाते जंगी जहाज तैनात किए थे, ताकि समुद्री सीमाओं को दुश्मन देशों की बुरी नजर से महफूज रखा जाए। अब इसी राह पर भारतीय वायुसेना भी चल पड़ा है। आपको बता दें कि चीन-पाकिस्तान सरीखे देशों की नापाक करतूतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना ने आज गुरुवार को ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इसके अलावा सुखोई विमान से प्रक्षेपण करने के बाद मिसाइल ने सीधा बंगाल की खाड़ी पर हमला किया है। ध्यान रहे कि इससे पहले भारतीय वायुसेना ने गत 29 नवंबर को सतह से सतह मार सकने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस मिसाइल को साल 2012 में अस्तित्व में लाया गया था। इसके साथ ही इसे 2019 में भारतीय वायुसेना के सुरक्षा बेड़े में शामिल किया गया था।

आपको बता दें कि उक्त मिसाइल को भारतीय सुरक्षा अनुसंधान परीषद और रूस के  फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज के समझौते के तहत अस्तित्व में लाया गया था। ब्रहोमस एक मध्य श्रेणी का सुपरसैनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पण्डुब्बी और एयरक्रॉफ्ट से लॉन्च किया जा सकता है। इस मिसाइल की रेंज 400 किलोमीटर है। इससे भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में इजाफा दर्ज किया गया है। यह स्वदेशी मिसाइल है। इसे निर्मित करने की दिशा में किसी भी प्रकार के विदेशी सुरक्षा उपकरणों की सहायता नहीं ली गई है। बता दें कि इस मिसाइल का परीक्षण ऐसे वक्त में किया गया है, जब पाकिस्तान लेकर चीन की तरफ से भारत के लिए सामरिक मोर्चे पर चुनौतियां पैदा की जा रही हैं।

ध्यान रहे कि गत 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने अरूणाचल प्रदेश के तवांग में निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन किया था। जिसका भारतीय सैनिकों ने ना महज प्रतिकार किया, बल्कि मुंहतोड जवाब भी दिया। इस झड़प में जहां भारत के चार तो वहीं चीन के 30 सैनिक घायल हो गए थे। वहीं, चीन ने इस झड़प के बाद जारी बयान में स्थिति को स्थिर बताया था।  वहीं, कुछ दिनों पहले चीन ने भारत संग रिश्ते में मधुरता लाने की बात भी कही थी, लेकिन चीन के किसी भी बयान पर विश्वास नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसकी आदत हमेशा से ही गिरगिट की तरह रही है। जिसे ध्यान में रखते हुए भारत अब खुद को सामरिक मोर्चे पर संबल बनाने की दिशा में जुट चुका है, लेकिन इस बीच यह देखना जरूरी रहेगा कि आगामी दिनों में चीन और भारत के बीच रिश्ते कैसे रहते हैं।

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