News Room Post

Corona In India: मेडिकल जर्नल लैंसेट के रिपोर्ट की भारतीय प्रोफेसर ने खोली पोल, बताया दावे को राजनीति से प्रेरित

Modi Meeting

नई दिल्ली। कोरोना के नियंत्रण में भारत सरकार के प्रयासों को कमतर बताने वाली मेडिकल जर्नल लैंसेट ने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह से भारत सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए आधी-अधूरी तैयारी की। मेडिकल जर्नल लैंसेट रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार कोरोना की रोकथाम के बदले सिर्फ ट्विटर के जरिये आलोचनाओं का जबाव देने में व्यस्त थी। भारतीय विशेषज्ञों ने अब इस रिपोर्ट की कलई खोलनी और सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। लैंसेट रिपोर्ट को मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर के कैसर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने राजनीति से प्रेरित बताया है।

उन्होंने लैंसेट रिपोर्ट में केन्द्र सरकार की ओर से कोविड को लेकर कोई जागरूकता भरा कदम नहीं उठाने के आरोपों को भी खारिज किया है। उनका कहना है कि सरकार ने कोविड को लेकर काफी पहले एक पोर्टल लांच कर दिया था। महामारी की वजह वायरस का लगातार म्यूटेंट होना है।

प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने एक के बाद एक लैंसेट रिपोर्ट के तमाम आरोपों पर सवाल किए हैं।

मृत्यु दर पर सवाल

प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि भारत में मृत्यु दर बेहद कम है। अमेरिका की जनसंख्या 0.3 अरब है और कोविड की वजह से 3 लाख लोगों की मौत हुई है। ब्राजील की जनसंख्या 0.2 अरब है और कोविड की वजह से उस देश में 10 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है। ब्रिटेन में 0.6 अरब की आबादी में कोरोना से मरने वालो की संख्या 1, 27, 000 है। इसी तरह फ्रांस की कुल अबादी 0.6 अरब है जबकि कोविड से मरने वालो की संख्या 10,6493 है। इसकी तुलना में भारत की कुल जनसंख्या 1.3 अरब है जबकि यहां कोविड से 2, 62 000 लोगों की जान गई है। संभव है कि ये आकड़ा बढ़ सकता है लेकिन हालात पर सरकार का पूरा नियंत्रण है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में मृत्यु दर केवल 1.1 फीसदी है जो अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, इटली और जर्मनी से कहीं कम है।

वैक्सीनेशन में भारत अव्वल

प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी का मानना है कि भारत में वैक्सीनेशन काफी देर से शुरू किया गया, लेकिन इसने कई देशों को पछाड़ दिया है। प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि अमेरिका में वैक्सीनेशन 14 दिसंबर 2020 से शुरू हुआ था। वहां 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका है। ब्रिटेन ने 21 दिसंबर 2020 से शुरू किया और अबतक 5.3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। आस्ट्रेलिया ने 22 फरवरी से शुरू किया और 20 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। भारत में 16 फरवरी को वैक्सीन लगने की शुरूआत हुई और अभी तक 18 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है।

बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था वाले देश भी पिछड़े

टाटा मेमोरियल सेंटर के कैसर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी के मुताबिक अमेरिका, फ्रांस, इटली जैसे देश बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देश हैं लेकिन वहां ही सबसे ज्यादा मौतें हुई। हालांकि उनका ये भी कहना है कि कई राज्य दूसरी लहर के लिए तैयार नहीं थे। केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं है लेकिन यहां के लोगों ने सबसे अधिक संकट का सामना किया।

कुंभ की वजह से कोरोना को लेकर दावे गलत

मेडिकल जर्नल लैंसेट में कुंभ को सुपर स्प्रेडर बताया गया है। प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि पूरा कुंभ 150 वर्ग किमी के दायरे में फैला हुआ था। करीब 20 लाख लोग जनवरी से लेकर अप्रैल के बीच यहां पहुंचे थे। एक दिन में 3.5 लाख लोग भी कुंभ में पहुंचे लेकिन डेंसिटी के लिहाज से एक किलोमीटर में अधिकतम 23 हजार लोग ही मौजूद थे। इससे अधिक लोग मुंबई और दिल्ली के कई इलाकों में रहते हैं। धारावी में तो 277136 लोग प्रति स्कावयर किलोमीटर में रहते हैं।

Exit mobile version