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I&B: भारत के खिलाफ एजेंडा चलाने वाले 60 चैनलों के ऊपर गिरी सूचना प्रसारण मंत्रालय की गाज, किया सोशल मीडिया पर ब्लॉक

नई दिल्ली। चलिए मान लिया कि भारतीय संविधान आपको अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है, तो आप किसी भी मसले पर अपनी बेबाक राय रख सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता न कि आप अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों के साथ खिलवाड़ करेंगे। अगर आप करेंगे तो जाहिर सी बात है कि आप दंड के भागीदार होंगे, तो बतौर पाठक इतना सब कुछ पढ़ने के बाद आप समझ ही गए होंगे मसला जरूर अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़ा हुआ। शायद इसीलिए अभिव्यक्ति के संदर्भ में भूमिकाओं की गाथा गाई जा रही है। जी बिल्कुल…अगर आप कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं, तो बिल्कुल सही सोच रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि सूचनाओं की अभिव्यक्ति की आजादी का प्रभार अपने कांधों पर लेने वाली सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक नहीं, दो नहीं, तीन भी नहीं, बल्कि 10-20 भी नहीं, बल्कि 60 टीवी चैनलों को ब्लॉक कर दिया है। इस फैसले के बाद सूचनाओं की दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। सभी तरफ हायतौबा मची हुई है। पूछा जा रहा है कि आखिर मंत्रालय की तरफ से ऐसा कदम क्यों उठाया गया। आपको बता दें कि मंत्रालय ने सोशल मीडिया के हर उभरते मंच मसलन फेसबुक पेज, ट्विटर पर इन चैनलों को ब्लॉक कर दिया है। मंत्रालय ने इस कड़े फैसले लेने के पीछे की वजह साझा करते हुए कहा कि इन सभी चैनलों को राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर विषयों के साथ खिलवाड़ किया है व सरकार द्वारा तय की गई परिधि का अतिक्रमण करने का दुस्साहस किया है, जिसके परिणामस्वरूप यह कदम उठाया गया। आइए, आगे की रिपोर्ट में हम आपको इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी दिए चलते हैं।

उक्त फैसले पर मंत्रालय की टिप्पणी

तो केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री ने उक्त फैसले के संदर्भ में कहा कि, हमें आपको यह सूचित करते हुए हर्ष महसूस हो रहा है कि हमने चुनिंदा टीवी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला शुरू कर दिया है। इन सभी चैनलों ने कथित तौर पर राष्ट्रीय सरक्षा जैसे संवेदनशील विषयों पर सरकार द्वारा तय की गई परिधि का अतिक्रमण करने का दुस्साहस किया है। सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगना ने इस संदर्भ में उक्त टिप्पणी की है। बता दें कि सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने रोषपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मंत्रालय का यह कदम अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात सरीखा है। जिस पर राज्य मंत्री ने कहा कि निसंदेह सरकार अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर चिंतित है, लेकिन अगर अभिव्यक्ति की आजादी का अनुचित उपयोग किया जाएगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने उक्त टिप्पणी राज्यसभा में सत्तापक्ष द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दिया।

वहीं, राज्यमंत्री से इस मीडिया वन चैनल पर किए गए कार्रवाई के बारे में सवाल किया गया तो सूचना एवं प्रसारण  राज्य मंत्री ने कहा कि हम MediaOne पर कुछ नहीं कर रहे हैं। गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा मंजूरी देने के बाद चैनलों को जो भी अनुमति दी जा रही है (हैं) हैं। वहीं, MediaOne का मामला भी विचाराधीन है।” विदित है कि मलयालम चैनल पर यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने इस कार्रवाई के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि विगत दो माह से हमारी सरकार ने ऐसे सभी चैनलों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की कवायद शुरू कर दी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा समेत राष्ट्रीय अखंडता से खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं।

इसके अलावा अभिव्यक्ति की आजादी को चोटिल करने के आरोपों के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर चिंतित है और हमारे द्वारा किए गए अब तक कार्य अभिव्यक्ति की आजादी को विस्तारित करने के ध्येय से किया गया है। अब ऐसे में बतौर पाठक आपका सरकार के इस कदम को लेकर क्या कुछ कहना है। क्या आप भी अपने आपको उन लोगों की जमात में शुमार करते हैं, जो यह मानते हैं कि सरकार अपने इस कदम के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का प्रयास कर रही या आप यह मानते हैं कि सरकार का यह सराहनीय है। बहरहाल, आप सरकार के इस कदम के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देने से गुरेज मत करिएगा और अगर इसके अलावा अगर आपके पास हमारे लिए हितायतों की पोटली रखी हुई हो, तो मेहरबानी करके आप उसे हमारे लिए खोलने की जहमत उठाने से गुरेज मत करिएगा।

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