नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में कैश जलने का मामला गर्माया हुआ है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे संजीव खन्ना ने 3 जजों की कमेटी से जांच कराई थी। ‘लाइव लॉ’ वेबसाइट ने इस कमेटी की रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है। वेबसाइट के मुताबिक जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर कैश जलने के मामले में दिल्ली पुलिस ने लापरवाही की। जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि मौके पर मौजूद पुलिस और दमकलकर्मी बिना कैश जब्त किए या पंचनामा बनाए चले गए और ये लापरवाही थी। हालांकि, कमेटी ने रिपोर्ट में ये भी कहा कि वो पुलिस के काम में गलती भी नहीं देखती है।
जजों की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौके पर काफी कैश होने के सबूत हैं। ऐसे में जस्टिस वर्मा का दावा गलत है कि वहां कोई कैश नहीं था। इस वजह से कमेटी ने कहा है कि कितना कैश था, ये बताना जरूरी नहीं है। कमेटी ने जांच रिपोर्ट में ये भी कहा कि जस्टिस वर्मा इस आधार पर अपना बचाव नहीं कर सकते कि वहां कितना कैश मिला था। कमेटी ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि दिल्ली पुलिस के उच्चाधिकारियों ने मामले की संवेदनशीलता और मौके पर जस्टिस यशवंत वर्मा के न होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं करने की बात कही। जस्टिस यशवंत वर्मा ने भी कमेटी से कहा कि साजिश के तहत दिल्ली के उनके आवास के स्टोर रूम में कैश रखा जा सकता है।
बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा पहले दिल्ली हाईकोर्ट में तैनात थे। उनके सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च 2025 की रात आग लगी थी। इस आग को बुझाने जब दमकलकर्मी और दिल्ली पुलिस के लोग पहुंचे, तो पाया कि वहां बहुत सारा कैश जल गया था। इस मामले में जांच कमेटी ने 55 गवाहों से बात की। 10 गवाहों ने जजों की जांच कमेटी को बताया कि उन्होंने मौके पर कैश देखा था। वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा का कहना है कि आग बुझाने के बाद उनकी बेटी और स्टाफ वहां गए थे और उनको कोई कैश नहीं दिखा था। जस्टिस वर्मा के आवास के बाहर मीडिया के लोगों को भी जले नोट मिले थे। जजों की जांच कमेटी ने ये भी पाया कि घटना के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा के घर स्थित स्टाफ ने जगह की सफाई की थी। बताया जा रहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार संसद के मॉनसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने वाली है।