नई दिल्ली। कर्नाटक (Karnataka) की राजधानी बेंगलुरु (Bengaluru) में 11 अगस्त को भड़की हिंसा की जांच में अब नए खुलासा हुआ है। दरअसल जांच में पता चला है कि जिन लोगों ने बेंगलुरु हिंसा (Bengaluru violence) को अंजाम दिया था, उनकी पहले से आतंकी (Terrorist) और सांप्रदायिक हमलों (Communal Attacks) में शामिल आरोपियों के साथ नजदीकी संबंध हैं।
जांच टीम को कुछ ऐसे संदिग्ध भी मिले हैं, जिनके संबंध साल 2014 में बेंगलुरु के चर्च स्ट्रीट बम विस्फोट के आरोपियों से हैं। जांच टीम को इस मामले में कुछ ऐसे सबूत भी हाथ लगे हैं जो ऐसे नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं जो दंगा फैलाते हैं और जिन्होंने पिछले कुछ सालों में अपने संगठन को काफी मजबूत कर लिया है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरु के केजी हल्ली इलाके में भड़की हिंसा में अब तक 380 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से कई लोगों के संबंध सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और अल हिंद आतंकी समूह जैसे संगठनों से भी हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि समीउद्दीन जो खुद को सोशल वर्कर बताता है, उसे बुधवार को गिरफ्तार किया गया है। समीउद्दीन से पूछताछ में पता चला है कि वह अक्टूबर 2016 में आरएसएस कार्यकर्ता रुद्रेश की हत्या के मुख्य आरोपी के संपर्क में था और एक बार उससे मिलने के लिए जेल भी गया था। पकड़े गए 380 लोगों में से 40 अभियुक्त ऐसे हैं जिनके संबंध चर्च स्ट्रीट ब्लास्ट, मल्लेश्वरम बम विस्फोट और सांप्रदायिक तनाव से जुड़े मामलों में आरोपी से हैं। इन मामलों में से कुछ की जांच एनआईए द्वारा की जा चुकी है तो कुछ में जांच जारी है।
पुलिस अभी भी एक मुदस्सिर की तलाश में है, जिसने कथित तौर पर दंगों की रात को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की थी और लोगों से पुलिस स्टेशन पर इकट्ठा होने की अपील की थी। पुलिस अब 380 आरोपियों में से उन 27 लोगों के फोन रिकॉर्ड खंगाल रही है जिन्होंने दंगा भड़काने में बड़ी भूमिका निभाई है।
क्या है पूरा मामला
एक फेसबुक पोस्ट को लेकर बेंगलुरु में बीते दिनों हिंसा हुई थी। भीड़ ने कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के घर और पुलिस स्टेशन पर हमला किया. इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई, जबकि 60 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे। भीड़ ने उत्पात मचाते हुए करीब 250 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया था।