नई दिल्ली। क्या कांग्रेस में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) यानी आलाकमान के हाथ में अब कमान नहीं है? क्या सोनिया गांधी सिर्फ नाम के वास्ते पार्टी की अध्यक्ष बनी हुई हैं ? ये दोनों सवाल उठने की वजह है बीते कुछ समय से कांग्रेस में लिए गए कुछ फैसले। इन फैसलों ने पार्टी के पुराने चेहरों की जगह नए आयातित चेहरों को चमका रखा है। जबसे सोनिया कार्यकारी अध्यक्ष बनी हैं और राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने पीछे से कमान संभाली है, तभी से पार्टी के पुराने नेताओं की चलनी बंद हो गई है। ताजा मामला पंजाब का है। यहां कैप्टन अमरिंदर सिंह गांधी परिवार के खास लोगों में माने जाते थे, लेकिन अब तूती नवजोत सिंह सिद्धू की बज रही है। सिद्धू कुछ समय पहले ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए थे और खास बात ये कि राहुल गांधी का पप्पू वाला नामकरण भी सिद्धू ने ही किया था।
पंजाब से अब रुख करते हैं महाराष्ट्र का। यहां कांग्रेस को फिर बीजेपी का ही नेता पसंद आया। नाना पटोले फिलहाल महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लेकिन तीन साल पहले तक वह बीजेपी के सांसद हुआ करते थे। महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास कद्दावर नेता हैं, लेकिन चल रही है नाना पटोले की। नाना बड़बोले हैं और महाराष्ट्र सरकार के लिए आए दिन कुछ न कुछ कहते रहते हैं, लेकिन उनको राहुल गांधी का वरदहस्त मिला हुआ है।
अब जरा दक्षिण के राज्य तेलंगाना की ओर चलते हैं। यहां कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान रेवती रेड्डी को दे रखा है। रेड्डी बीजेपी के अलावा तेलुगू देसम में भी रहे हैं। वह कभी एबीवीपी के बड़े नेता थे और आरएसएस में भी रहे हैं, लेकिन अभी राहुल गांधी की छत्रछाया में रेवती रेड्डी तेलंगाना में पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। यूपी में भी प्रियंका ने कांग्रेस का चेहरा आमूल चूल बदल दिया है। बाहरी लोगों पर उनका और राहुल का भरोसा बढ़ रहा है।
प्रियंका के करीबी संदीप सिंह की बात करें, तो वह आइसा के अध्यक्ष रहे हैं और घनघोर वामपंथी हैं। संदीप जो कह देते हैं, प्रियंका उसे ही लागू कराती हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस के चेहरे के ज्यादातर हिस्से में अब बीजेपी और वामपंथ के पूर्व युवा नेताओं का अक्स दिखने लगा है।