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Rajasthan Cabinet Expansion: क्या वसुंधरा शीर्ष नेतृत्व से अभी तक हैं ख़फ़ा? अगर नहीं, तो मंत्रिमंडल विस्तार में क्यों नहीं हुईं शामिल, जानिए यहां

Rajasthan Cabinet Expansion: इस शपथ ग्रहण समारोह में वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुईं, जिसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार है। तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजहें रही कि वसुंधरा राजे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुईं।

नई दिल्ली। शनिवार को भजनवाल शर्मा कैबिनेट का विस्तार हुआ। 12 विधायकों को राज्यपाल कलराज मिश्र ने मंत्री पद की शपथ दिलाई, जिसमें से पांच विधायकों को राज्य मंत्री बनाया गया है, तो 7 को राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में सभी विधयाकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि किन विधायकों को मंत्री पद की कमान सौंपी गई है?

इन विधायकों को बनाया गया मंत्री

आपको बता दें कि 12 विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया गया है, जिमसें किरोड़ी लाल मीना, मदन दिलावर, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, गजेंद्र सिंह खिमसर, बाबूलाल खराड़ी, जोगाराम पटेल, सुरेश सिंह रावत, अविनाश गेहलोत, जोराराम कुमावत, हेमंत मीना, कन्हैया लाल चौधरी, सुमित गोदारा को मंत्री पद की कमान सौंपी गई है। इसके अलावा संजय शर्मा , गौतम कुमार , झाबर सिंह खर्रा , सुरेंद्र पाल सिंह , हीरालाल नागर को स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही ओत्ताराम देवासी, मंजू बाघमार, विजय सिंह चौधरी, के के बिश्नोई, जवाहर सिंह बेदाम को राज्य मंत्री बनाया गया है।

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुईं वसुंधरा राजे

वहीं, इस शपथ ग्रहण समारोह में वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुईं, जिसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार है। तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजहें रहीं कि वसुंधरा राजे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुईं। सियासी विश्लेषकों का दावा है कि वसुंधरा शीर्ष नेतृत्व से खफा हैं।

दरअसल, इसके पीछे वजह यह है कि बीते दिनों चर्चा थी कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से उन्हें सीएम पद की कमान सौंपी जा सकती है, लेकिन आपको बता दें कि पर्यवेक्षक राजस्थान सिंह के नेतृत्व में हुई विधायक दल की बैठक में सीएम पद के लिए जब सर्वसम्मति से भजन लाल शर्मा के नाम पर मुहर लगी, तो वसुंधरा राजे का मुंह उतर गया, जिसके बाद से ही यह कयास लग रहे हैं कि वो शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में राजस्थान की राजनीति में क्या कुछ परिवर्तन देखने को मिलता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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