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कानपुर केस : जय वाजपेयी के पास था विकास दुबे को सुरक्षित स्थान पहुंचाने का जिम्मा

नई दिल्ली। कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद यूपी पुलिस ने विकास दुबे और उसके गैंग का सफाया कर दिया। इसके साथ ही विकास दुबे गैंग की मदद करने वाले जय वाजपेयी पुलिस की गिरफ्त में है। जय वाजपेयी को लेकर जानकारी सामने आई है कि, 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास व उसके गैंग को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का जिम्मा जय के ही पास था।

बता दें कि इटावा में मुठभेड़ में मारा गया बउआ का आर्यनगर निवासी जीजा प्रशांत उर्फ डब्लू भी साजिश में शामिल था। घटना के बाद शहर में नाकेबंदी के चलते दोनों विकास तक पहुंच नहीं सके और इससे पहले ही जय के घर पुलिस का छापा पड़ गया। लावारिस खड़ी तीनों कारों को भी बरामद कर लिया था।

गौरलतब है कि बिकरू कांड के बाद भी जय सीधे विकास के संपर्क में था। उसने विकास और उसके गुर्गों को सुरक्षित जगह तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली थी। इसलिए जय ने अपनी तीन लग्जरी गाड़ियों को तैयार रखा था लेकिन वारदात के अगले दिन 4 जुलाई को शहर में सघन चेकिंग और नाकेबंदी को देखकर जय और प्रशांत विकास तक पहुंच नहीं सके। पुलिस की सक्रियता को देखते हुए तीनों लग्जरी गाड़ियों की नंबर प्लेट निकालकर विजय नगर में एक नजदीकी के घर पर खड़ी करा दी थीं। पुलिस ने इलाकाई लोगों की सूचना पर पहले तीनों गाड़ियां बरामद कर लीं और फिर जय के घर छापा मारकर उसे हिरासत में ले लिया। इधर, जय तक पुलिस के पहुंचते ही विकास को भनक लग गई।

इस वजह से वारदात के दो दिन बाद विकास शिवली से अपने गुर्गों के साथ सवारी गाड़ियों की मदद से बचते-बचाते भाग निकला। जय से पूछताछ के बाद आर्य नगर निवासी डब्लू का नाम सामने आया। इसके बाद पुलिस ने उसे भी हिरासत में ले लिया। जांच में पता चला कि दोनों विकास को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना चाहते थे। एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि जय और डब्लू को साजिश का आरोपित बनाया गया है। विजय नगर से बरामद तीनों गाड़ियां काकादेव थाने में खड़ी हैं। गाड़ियों को भी अब इस मुकदमे में दाखिल किया जाएगा।

विकास दुबे की मदद करने जा रही बरामद तीन कारों में से एक भी कार जयकांत के नाम नहीं थी। इसमें एक फॉर्च्यूनर चकरपुर सचेंडी निवासी राहुल, दूसरी ऑडी भाजयुमो के प्रदेश मंत्री प्रमोद विश्वकर्मा और तीसरी गाड़ी अशोक नगर निवासी कारोबारी कपिल सिंह के नाम से थी। आखिर इन तीनों ने अपने नाम से गाड़ियां खरीदकर जय को क्यों दे रखी थीं। पुलिस ने इन सभी को पूछताछ के बाद छोड़ दिया था।

 

दुर्दांत के खजांची जय का भी भौकाल किसी से कम नहीं था। उसके पास से बरामद तीन लग्जरी गाड़ियों में से एक में विधानसभा का वीआईपी पास भी लगा हुआ था। गाड़ी बरामद होने के बाद भी काकादेव पुलिस ने पास की जांच कराना भी उचित नहीं समझा। पास किसके नाम जारी हुआ और इस गाड़ी में क्यों इस्तेमाल हो रहा था। पुलिस ने इसका संज्ञान ही नहीं लिया।

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