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Jain Community Also Claimed On Dhar Bhojshala : धार भोजशाला पर जैन समाज ने भी किया दावा, सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित धार भोजशाला पर अब जैन समाज ने भी अपना दावा ठोक दिया है। हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच पहले से ही इस पर विवाद चल रहा है और मामला लंबित है। अब जैन समाज ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। जैन समाज ने अपनी याचिका में दावा किया है कि सन 1875 में भोजशाला में खुदाई के दौरान जैन यक्षिणी अंबिका की मूर्ति निकली थी। वो मूर्ति अभी ब्रिटिश म्यूजियम में संरक्षित है। इस मूर्ति के साथ शिलालेख में अंबिका देवी के जैन धर्म से संबंधित होने का प्रमाण है। इसी मूर्ति को हिंदू समाज के लोग वाग्देवी सरस्वती कह रहे हैं।

जैन समाज के अनुसार अभी हाल ही में हुई खुदाई के दौरान भोजशाला से जैन तीर्थंकरों, देवी-देवताओं की मूर्तियां, जैन शिल्प और शिलालेख भी मिले हैं, जिससे भोजशाला पर जैन समाज का दावा उचित है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने भोजशाला का एएसआई द्वारा सर्वे कराने का आदेश दिया था। एएसआई का यह सर्वे 22 मार्च से शुरू होकर 27 जून तक चला। गहन सर्वे के बाद एएसआई ने 2000 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की और इसी महीने 15 जुलाई को अदालत में पेश की।

धार जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। उन्होंने धार में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा, जहां छात्र शिक्षा के लिए आते थे। इस भोजशाला या सरस्वती मंदिर, जिसे बाद में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था, इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं। फिलहाल भोजशाला का परिसर एएसआई के संरक्षण में है और हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को परिसर पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को प्रत्येक शुक्रवार को परिसर के एक तरफ स्थित मस्जिद में नमाज अदा करने की जाती है।

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