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Bihar: जेडीयू ने जाति आधारित जनगणना की चली सियासी चाल, फैसला हुआ तो यह हो सकता है हाल

Nitish Kumar and lalan Singh

नई दिल्ली। बिहार में बीजेपी की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू ने सियासी चाल चलते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जाति आधारित जनगणना कराने का दबाव बनाया है। जेडीयू इस तरह की जनगणना के तमाम फायदे गिना रही है, लेकिन हकीकत में देखें, तो जाति आधारित जनगणना से सिर्फ सियासी दलों को फायदा होना है। इससे तमाम तरह की दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। जेडीयू का अध्यक्ष चुने जाने के बाद ललन सिंह अपनी पार्टी के सांसदों के साथ दिल्ली में पीएम मोदी से इस मुद्दे पर मिलना चाहते थे। वहां से उनको गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए कहा गया। इस पर ललन सिंह ने अमित शाह से मुलाकात की और अपनी मांग रखी। ललन का कहना था कि आखिरी बार 1931 में जाति आधारित जनगणना हुई थी। ऐसा फिर से कराने का फायदा गिनाते हुए उन्होंने कहा कि इससे सरकार को अलग-अलग समुदायों के बारे में विकास की नीति बनाने में मदद मिलेगी।

क्या ललन सिंह का ये दावा सही है ? इस सवाल का जवाब है कि नहीं। जाति आधारित जनगणना से आम लोगों को कम और सियासी पार्टियों को ज्यादा फायदा होगा। मसलन, पार्टियों को ये पता चल जाए कि किस जिले और किस सीट पर कौन सी जाति ज्यादा संख्या में है, तो वे उसी हिसाब से चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इसके अलावा जातियों को आधार बनाकर सियासत को और चमकाएंगे। बिना ऐसी जनगणना के पार्टियां जाति की राजनीति करती ही हैं। जनगणना हो गई, तो उसके आंकड़ों के जरिए तमाम तरह की मांगों का भी दबाव वे बनाएंगी।

बिहार बीजेपी के तमाम नेताओं ने जाति आधारित जनगणना का विरोध भी किया है। इन नेताओं का मानना है कि इससे जाति में बंटे समाज में और बंटवारा देखने को मिल सकता है। साथ ही कोई जाति अगर किसी जगह ज्यादा संख्या में है, तो वह दूसरी जाति के लोगों को दबाने की कोशिश भी कर सकते हैं। बिहार जैसे राज्य में यह डर गलत नहीं है। वहां कई बार जाति आधारित नरसंहार की घटनाएं हो चुकी हैं।

बहरहाल, सूत्रों के मुताबिक शाह ने ललन से बातचीत में कहा है कि सरकार इस बारे में विचार करेगी। बता दें कि एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद बीजेपी और जेडीयू के बीच कई मसलों पर एक राय नहीं है। इसमें जाति आधारित जनगणना का मसला भी है। हालांकि, जेडीयू अध्यक्ष का दावा है कि बीजेपी ने बिहार विधानसभा में इस बारे में कहा था कि वह भी जाति आधारित जनगणना के पक्ष में है, लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और केंद्र की सरकार ने अब तक इसका समर्थन नहीं किया है।

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