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बिहार चुनाव में कैसी हो भाजपा की रणनीति, इसपर अब विचार के लिए पार्टी ने दी नित्यानंद राय और रविशंकर प्रसाद को बड़ी जिम्मेदारी

बिहार चुनाव(Bihar Election) में कैसी हो भाजपा(BJP) की रणनीति, इसपर अब विचार के लिए पार्टी ने दी नित्यानंद राय और रविशंकर प्रसाद को बड़ी जिम्मेदारी,JP Nadda Bihar Election Committee BJP

BJP President JP Nadda

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनाव संचालन समिति की घोषणा कर दी है। इस चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नित्यानंद राय को चुना गया है। वहीं चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को बनाया गया है। इसके अलावा चुनाव घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष  डॉ प्रेम कुमार को बनाया गया है और चुनाव प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी मंगल पांडे को दी गई।

बिहार में 10 से 15 दिनों के अंदर विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है। इससे पहले सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। राज्य में अक्टूबर नवंबर में 243 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी की चुनाव संचालन समिति पर नजर डालें तो इसमें राज्य के जातिगत समीकरण का ख्याल रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को चुनाव प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी सौंप कर पार्टी ने अगड़ी जातियों को लुभाने की कोशिश की है।

वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय को बिहार विधानसभा चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाकर ओबीसी और यादव वोटरों को पार्टी ने अपने साथ लेने की कोशिश की है। दोनों ही नेता पार्टी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। लिहाजा दोनों के पास बिहार के सामाजिक समीकरण की जानकारी है और काम करने का लंबा अनुभव भी है। इसके अलावा बैलेंस करने के लिए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

बता दें कि बिहार में कोरोना काल में हो रहे विधानसभा चुनाव की वजह से ऑनलाइन प्रचार जोरों पर है. बीजेपी ने इसके लिए एक पूरी टीम उतार दी है। भाजपा ने ऑनलाइन प्रचार के तहत सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा जोर लगाया है। भाजपा की योजना केंद्र और राज्य की विकास योजनाओं की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाने की है। बीजेपी इस बार फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम के माध्यम से चुनाव में प्रचार करने की योजना बना रही है। रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी एनडीए की 15 साल की सरकार की तुलना पिछले 15 साल की राजद सरकार से की जाएगी।

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