नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा में कहा, मैं इस बिल के समर्थन में खड़ा हूं और मुझे उम्मीद है कि सदन भी इस बिल का समर्थन करेगा। नड्डा बोले, इस बिल का मूल उद्देश्य सुधार लाकर वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन करना है। यह बिल राष्ट्र हित में है, किसी पार्टी के हित में या तुष्टिकरण की राजनीति के लिए नहीं। उन्होंने कहा, एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के अध्यक्ष के रूप में, मैं इस बिल को लेकर फैलाए जा रहे भ्रामक कथन का पुरजोर विरोध करता हूं और इस सदन के माध्यम से और देश की जनता को यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लोकतांत्रिक मानदंडों को बनाए रखने और पारदर्शी तथा वैध तरीके से आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Delhi: Union Minister JP Nadda says, "…As the president of a responsible political party, I strongly oppose this misleading narrative and want to make it clear through this House and to the people of the country that the government under Prime Minister Modi is fully committed… <a href=”https://t.co/sraYFhT4z6″>pic.twitter.com/sraYFhT4z6</a></p>— IANS (@ians_india) <a href=”https://twitter.com/ians_india/status/1907772725851996231?ref_src=twsrc%5Etfw”>April 3, 2025</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
नड्डा ने कहा, इस विधेयक में वक्फ बाय यूजर को हटाया गया है। हालांकि मैं इस चर्चा में धार्मिक मामलों को नहीं लाना चाहता या कोई असहज बयान नहीं देना चाहता, लेकिन दानकर्ताओं को जेनुइन तो होना चाहिए। जेपी नड्डा ने उदाहरण देते हुए कहा, अदालतों में कहा जाता है कि जब आपके पास तर्क होते हैं, तो आप संतुष्ट होते हैं और उसी के अनुसार बोलते हैं और जब आपके पास तर्क नहीं होते हैं, तो आप सनसनी फैलाने की कोशिश करते हैं। मैंने देखा कि बहस पटरी से उतर गई और भटक गई। मैंने कल लोकसभा में भी यही देखा। विपक्ष संविधान की बात करता रहता है। वे इसकी एक प्रति जेब में रखते हैं, बार-बार निकालते हैं और उसमें से उद्धरण देते रहते हैं। लेकिन वे बस यही करते हैं – इससे ज़्यादा कुछ नहीं। दूसरी तरफ़, हम वास्तव में संविधान का पालन करते हैं और उसे लागू करते हैं।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Delhi: Union Minister JP Nadda says, "This bill removes the concept of Waqf by User and allows only declarations through endowment, with donors required to be practicing Muslims for at least five years. While I do not wish to bring religious matters into this discussion or make… <a href=”https://t.co/T1oUN9apQJ”>pic.twitter.com/T1oUN9apQJ</a></p>— IANS (@ians_india) <a href=”https://twitter.com/ians_india/status/1907774156134899895?ref_src=twsrc%5Etfw”>April 3, 2025</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, पुराने वक्फ अधिनियम में एक प्रावधान था कि नागरिक वक्फ बोर्ड के फ़ैसलों को सामान्य अदालतों में चुनौती नहीं दे सकते। क्या यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन करना जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने के समान है। पुराना वक्फ अधिनियम न्यायपालिका से भी ज़्यादा शक्तिशाली हो गया।