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Kalpana Chawla Birthday: करनाल से अंतरिक्ष तक का सफर कैसे पूरा किया देश की महान बेटी कल्पना चावला ने, यहां पढ़ें अनसुने किस्से

नई दिल्ली। अंतरिक्ष में पहुंचने वालीं पहली भारतीय एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला (Kalpana Chawla) का जन्म आज के दिन हुआ था। 17 मार्च 1962 में जन्मी भारत की महान बेटी कल्पना ने इतिहास रच देश का नाम रौशन किया था। साल 2003 में उनका स्पेस शटल लैंडिंग से 16 मिनट पहले ही क्रैश हो गया था। जिससे उनका निधन हो गया था। कल्पना के साथ उनके छह दल के सदस्यों की भयंकर घटना में मृत्यु हो गई थी।

हरियाणा के करनाल जिले में जन्मी कल्पना ने एक इंटरव्यू में कहा था- मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं। हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया है और इसी के लिए मरूंगी। लेकिन शायद ही उन्हें पता होगा कि उनकी कही ये बात सच भी साबित हो सकती है। 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से धरती पर लौटते हुए उनका यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और अगले कुछ मिनटों में इसका मलबा अमेरिका के टैक्सास प्रांत में फैल चुका था।

कल्पना ने भले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो लेकिन आज भी वो लोगों के दिलों में जिंदा हैं। उनके जन्मदिन पर उनके बार में कुछ अनसुनी बातें जानते हैं-

कल्पना का नेचर बचपन से ही शांत रहा है। वो काफी सवाल पूछा करती थी। उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई। जब वो थोड़ी बड़ी हुईं तो उन्होंने पिता से कहा कि वो इंजीनियर बनना चाहती हैं। कल्पना अक्सर अपने पिता से पूछा करती थीं कि अंतरिक्ष यान क्या होता है। ये आकाश में कैसे उड़ते हैं। क्या मैं भी उड़ सकती हूं।

कल्पना ने स्कूल खत्म करने के बाद चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद अमेरिका के टैक्सास चली गईं। जहां उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली।

कल्पना के कदम आगे बढ़ते गए और 1982 में वो अमेरिका गईं। कल्पना पहली भारतीय महिला थीं जो नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर शामिल हुईं। जिसके बाद साल 1995 में वो अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं। अगले तीन सालों तक कड़ी मेहनत के बाद कल्पना को अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। एसटीएस 87 कोलंबिया शटल से उन्होंने पहली उड़ान भरी। जो साल 1997 में हुआ। लगभग 1.04 करोड़ मील के सफर के बाद कल्पना ने तकरीबन 360 घंटे स्पेस में बिताए।

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