नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर कैश जलने की जांच करने वाली कमेटी को 10 गवाहों ने बताया कि उन्होंने वहां जली हुई करेंसी देखी। जांच कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ‘बार एंड बेंच’ वेबसाइट ने ये खबर दी है। वेबसाइट के मुताबिक जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में जला हुआ कैश काफी संवेदनशील मामला है। वेबसाइट की खबर में कहा गया है कि कमेटी ने माना है कि मौके पर कैश जला और उसे हटाया गया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार के लोगों की बिना जानकारी के स्टोर रूम में इतनी बड़ी तादाद में कैश रखा जाना संभव नहीं लगता।
बार एंड बेंच वेबसाइट के मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास के स्टोर रूम में कैश जलने की घटना के एक गवाह ने कमेटी को बताया कि वो जब भीतर गया, तो जमीन पर 500 रुपए के जले हुए नोट बड़ी तादाद में पड़े थे। गवाह ने कमेटी को बताया कि उसने जीवन में इतना सारा कैश पहली बार देखा और अचरज में पड़ गया था। जांच कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा की बेटी दीया वर्मा और जज के प्राइवेट सेक्रेटरी राजिंदर सिंह कारकी की भूमिका की भी पड़ताल की। कहा जा रहा है कि राजिंदर सिंह ने आग बुझाने वालों से कहा कि वे कैश जलने की जानकारी अपनी रिपोर्ट में न दें। साथ ही अगले ही दिन जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास के स्टोर रूम को साफ कराने का भी उन पर आरोप है। राजिंदर सिंह ने कमेटी के सामने इन आरोपों को गलत बताया है।
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने तीन जजों की जांच कमेटी बनाई थी। इस जांच कमेटी ने 10 दिन में 55 गवाहों के बयान लिए। इसके अलावा जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास जाकर उस स्टोर रूम को देखा, जहां कैश जलने की घटना हुई। बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने प्रारंभिक जांच के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय से कहा था कि उनके खिलाफ साजिश की जा सकती है। जस्टिस यशवंत वर्मा का ये भी दावा है कि आग बुझने के बाद उनकी बेटी या स्टाफ ने स्टोर रूम में कोई कैश नहीं देखा। बताया जा रहा है कि संसद के मॉनसून सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मोदी सरकार महाभियोग प्रस्ताव लाने वाली है। क्योंकि जस्टिस यशवंत वर्मा ने खुद पद से इस्तीफा देने से साफ मना कर दिया है।