नई दिल्ली। मोदी सरकार ने रेलवे के कामकाज में अहम बदलाव और आम जनता के हित के लिए रेलवे संशोधन बिल लोकसभा से पास कराया है। इस बिल के पास होने से रेलवे बोर्ड की काम करने की क्षमता और आजादी तो बढ़ेगी ही। साथ ही बिहार में रेलवे सेवा भी बेहतर होगी। रेलवे संशोधन बिल को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 9 अगस्त को पेश किया था। लोकसभा में बुधवार को हंगामे के दौरान बिल पास कराया जा सका।
रेलवे संशोधन बिल पास होने के बाद केंद्र सरकार अब रेलवे बोर्ड की संरचना को तय करने का हक हासिल कर चुकी है। राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद रेलवे संशोधन बिल लागू होगा। जिसके बाद केंद्र सरकार रेलवे बोर्ड में सदस्यों की संख्या, उनकी शैक्षिक योग्यता, अनुभव और सेवा के समय को तय कर सकेगी। रेलवे से संबंधित कानूनी प्रावधानों को भी सरकार आसान बना सकेगी। रेलवे संशोधन बिल के पास होने से केंद्र सरकार को बिहार के थावे जंक्शन से ट्रेनों का रूट तय करने, विस्तार करने और ट्रेन चलाने में अधिकार मिलेगा। इससे इस इलाके के लोगों की पुरानी मांग पूरी हो सकेगी। बिहार का थावे स्टेशन धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए भी अहम है, लेकिन दिल्ली समेत बड़े शहरों से ये रेलवे नेटवर्क से नहीं जुड़ा है।
रेलवे संशोधन बिल पास कराने से पहले जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर निशाना साधा। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कुछ सांसद ये प्रचार कर रहे थे कि रेलवे संशोधन बिल से निजीकरण का रास्ता सरकार खोल रही है। रेल मंत्री ने कहा कि सांसदों को दुष्प्रचार करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड के काम को और बेहतर बनाने के लिए सरकार ये बिल पास करा रही है। दरअसल, रेल मंत्रालय ने तमाम ऐसे फैसले लिए, जिनकी वजह से विपक्ष ऐसे आरोप लगाता रहा है कि मोदी सरकार रेलवे के निजीकरण की दिशा में बढ़ रही है। इनमें आईआरसीटीसी की तरफ से तेजस ट्रेनों को चलाने का उदाहरण दिया जाता है। विपक्ष का ये भी आरोप है कि आम लोगों को सरकार ट्रेनों में सफर नहीं करने देना चाहती। इस वजह से वंदे भारत ट्रेनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जबकि, बीते दिनों ही रेलवे बोर्ड ने एलान किया है कि 600 से ज्यादा ट्रेनों में सामान्य और स्लीपर श्रेणी के हजारों कोच अगले साल लगाए जाएंगे।