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WB: राजनीतिक हिंसा मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट से लगा ममता बनर्जी को झटका, भाजपा ने किया पलटवार

Mamta Banerjee

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल(West Bengal) में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राज्य में शुरू हुई हिंसा को लेकर अब ममता सरकार(Mamta Government) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बता दें कि चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर ममता बनर्जी की सरकार को कलकत्ता उच्च न्यायालय से राहत मिलती नहीं दिख रही है। गौरतलब है कि, सोमवार को उच्च न्यायालय(High Court) ने कहा कि वह 18 जून को दिए अपने फैसले पर रोक नहीं लगाएगा। कोर्ट ने कहा है कि हिंसा के मामले में राज्य सरकार को जो कुछ भी सफाई देनी है वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सामने दे। बता दें कि बंगाल में दो मई को आए चुनाव नतीजों के बाद राज्य में कई जगहों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय एवं उसके कार्यकर्ताओं पर हमले हुए थे। दरअसल इस मामले की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए एनएचआरसी को एक समिति बनाने का आदेश दिया है।

बता दें कि यह समिति राज्य में जहां हिंसा हुई, उन इलाकों का दौरा कर 30 जून तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। हालांकि ममता सरकार ने इस फैसले पर हाई कोर्ट से मांग की थी कि रोक लगाई जाए। लेकिन हाई कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया है।

वहीं कोर्ट का फैसला आने के बाद भाजपा नेताओं की तरफ से टीएमसी पर हमले शुरू हो गए हैं। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि, हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बंगाल सरकार असत्य बोल रही है, बंगाल में हिंसा हो रही है, उसके बाद भी CM कह रही हैं कि हिंसा नहीं हुई। हाई कोर्ट ने मानव अधिकार आयोग को कहा है कि एक टीम बनाएं और जहां हिंसा हुई है उसकी रिपोर्ट सीधे हाई कोर्ट को दें।

वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि, मैं न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। प्रताड़ित, घरों से निकाले, मौत के घाट उतारे लोगों के लिए विश्वास जगा है कि उन्हें न्याय मिलेगा। एक मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) राज्य में सजाए मौत होते देख रही हैं क्योंकि उन्होंने CM के पक्ष में वोट नहीं किया।

बता दें कि कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि, पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में राजनीतिक झुकाव वाले लोगों के हमलों में लोग विस्थापित हुए। उन पर जानलेवा हमले हुए और कार्यालय एवं संपत्तियों में लूटपाट एवं आगजनी हुई। इसको लेकर राज्य सरकार का कहना है कि हिंसा मामले में कोर्ट ने उसका पक्ष नहीं सुना और अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने समिति से उन उपायों के बारे में भी बताने के लिए कहा है जिनसे लोगों में विश्वास की बहाली हो।

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