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“अखिलेश यादव भारतीय राजनीति के औरंगजेब हैं, अपने पिता को घर में बैठने के लिए कर दिया मजबूर”

Akhilesh Yadav: डॉ. निर्मल ने कहा अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) तो अपना जन्मदिन तक देश में नहीं मनाते हैं। ऐसे नेताओं को हमारा गरीब, किसान, हाशिए का समाज हवाई नेता समझता है। वह दिन दूर नहीं, जब अखिलेश यादव पूरे देश में कहीं से भी चुनाव नहीं जीत पाएंगे।

mulayam singh yadav and akhilesh yadav 1

लखनऊ। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के चेयरमैन डा. लालजी प्रसाद निर्मल ने मंगलवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के फर्जी समाजवाद और दलित प्रेम पर करारा प्रहार किया। लाल जी ने कहा अखिलेश यादव भारतीय राजनीति के औरंगजेब हैं। जिसने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को राजनीति से बेदखल कर उन्हें घर में बैठने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे मुगल शासक की विचारधारा के लोगों को प्रदेश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। विधानसभा चुनाव में कहीं दूर-दूर तक अखिलेश यादव दिखाई नहीं पड़ेंगे।

डॉ. निर्मल ने आगे कहा कि आंबेडकर के मानने वालों से अखिलेश यादव नफरत करते हैं। वह केवल वोटबैंक के लिए समय-समय पर दिखावा करते रहते हैं। अखिलेश सरकार में कुल 195 लोगों को यशभारती पुरस्कार दिए गए, इसमें से एक भी दलित विद्वान नहीं थे। यह दिखाता है कि वह केवल मुगल मानसिकता से काम करते हैं। लखनऊ स्थित कांशीराम उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी का नाम बदल कर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी कर दिया गया है, जबकि बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर की पत्नी के नाम पर बने रमाबाई नगर जिले का नाम बदल कर कानपुर देहात कर दिया गया।

डॉ. निर्मल ने बताया कि अखिलेश यादव की राजनीति एक परिवार और एक जाति विशेष की राजनीति पर ही केन्द्रित है। समाजवादी पार्टी में दलितों का कोई स्थान नहीं है, यहाँ तक कि अनुसूचित जाति मोर्चे का कोई अध्यक्ष तक नहीं है। जब अखिलेश सत्ता में थे तो यही हाल उनकी सरकार में भी था। दलितों की आवाज को दबा दिया जाता था। मायावती से निजी दुश्मनी का बदला अखिलेश यादव ने दलितों से लिया। अखिलेश यादव की दलितों के प्रति नफरत इस कदर थी कि उन्होंने गैरदलितों को अनुसूचित जाति आयोग और वित्त निगम का अध्यक्ष तक बना दिया।

डॉ. निर्मल ने कहा अखिलेश यादव तो अपना जन्मदिन तक देश में नहीं मनाते हैं। ऐसे नेताओं को हमारा गरीब, किसान, हाशिए का समाज हवाई नेता समझता है। वह दिन दूर नहीं, जब अखिलेश यादव पूरे देश में कहीं से भी चुनाव नहीं जीत पाएंगे। वह चुनाव जीतने के लिए, ऐसा लोकसभा क्षेत्र चुनते हैं जहां उनके जातियों की संख्या सबसे अधिक हो, लेकिन उनका सजातीय समाज भी अब जान गया है कि वह वोट भले ही पूरे समाज का लेते हैं, लेकिन वह केवल परिवार की राजनीति करते हैं। केवल परिवार का ही भला करते हैं। अब तो उनके परिवार में भी केवल 2 ही सांसद रह गए हैं।

उन्होने कहा कि मौजूदा वक्त में जनता ऐसे जातिवादी राजनीति और परिवारवादी पार्टियों को नकार रही है। हम जनता के बीच जाकर इस फर्जी समाजवाद और फर्जी बहुजनवाद के खतरों से पूरे प्रदेश के दलित समाज को अवगत कराएंगे। हम जनता को समझाएँगे कैसे समाजवाद और बहुजनवाद के नाम से दलितों-पिछड़ों को छलने वाले इन क्षेत्रीय दलों ने प्रदेश में जातिवाद को मजबूत कर आर्थिक साम्राज्य और परिवारवाद को बढ़ाने का काम किया है ।

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