नई दिल्ली। जगद्गुरूत्तम सेवा समिति द्वारा परम पूज्य जगदगुरु श्री कृपालू जी महाराज की प्रेरणा से उत्तराखंड के ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के वृंदावन में एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की शुरुआत की गई है। जगदगुरु श्री कृपालू जी महाराज के शिष्य श्री राधेश्याम कथूरिया जी द्वारा शुरू किए गए इस प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र को समग्र कायाकल्प केंद्र का नाम दिया गया है। इस प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की खास बात यह है कि यहां लोगों का उपचार प्राकृतिक ढंग से, नि:शुल्क किया जाता है। इस केंद्र के माध्यम से प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जाता है। केंद्र के प्रमुख डॉ. एस. शिवा कुमार जी के साथ चिकित्सक डॉ. बलजीत आर्य जी व डॉ. करुणा त्रिपाठी जी यहां लोगों की सेवा में जुटे हैं, जो शुगर और ब्लड प्रेशर को रोग ही नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि योग व आहार के माध्यम से कुछ ही दिनों में शुगर और ब्लड प्रेशर को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इनका कहना है कि प्राकृतिक आहार के साथ एनिमा, गीली पट्टी व कुंजल से किसी भी रोग को ठीक किया जा सकता है। यह बताते हैं कि प्राण सूक्ष्म शरीर में मन और इन्द्रियों के साथ रहता है। पूर्ण प्राणशक्ति से युक्त व्यक्ति के शरीर में हल्कापन और आदर्श मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव होता है।
स्वास्थ्य की स्थिति में सदा रहने की कला ही प्राकृतिक रोधक्षमता है, जो किसी प्रकार की दवाइयों से व्यक्ति को प्रदान नहीं की जा सकती। सभी जीवों के स्वास्थ्य की रक्षा और रोग निवृत्ति के लिए पंचभूत (आकाश, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी) ही औषधि हैं। सोशल मीडिया पर नेचुरपैथी के तमाम वीडियो देखे होंगे, जिसमें समझाया जाता है कि इससे कैसे इलाज किया जाये। असल में ये कोई ट्रीटमेंट करने का तरीका नही है। ये एक जीवन जीने की शैली है। जीवन कैसा होना चाहिए, जिसे आर्ट ऑफ़ लिविंग कहते हैं। एक सिंपल उदाहरण से समझिए, अगर कोई मूर्ति मिट्टी से बना है, और उसका कोई हिस्सा खराब हो जाएं तो क्या आप उसे लोहे से जोड़ने की कोशिश करेंगे। क्या वह काम करेगा। वह जिस चीज़ से बना है, उसी मटेरियल से ही हमें उसे ठीक करना होगा।
हमारे हिंदू ग्रंथों व वेदों आदि के बाद अब तो साइंस ने भी सिद्ध कर दिया है कि हमारी बॉडी पंच महाभूतों से बनी है, और इन्हीं पंच महाभूतों से ही ये ठीक हो सकता है। कोई और चीज़ उसे दबा सकती है, पर पूरी तरह रोग मुक्त नहीं कर सकती। किसी भी तरह की दवाई का सेवन करने से हमें तुरंत फायदा तो मिल जाता है पर उसके साइड इफेक्ट बहुत होते हैं। डब्लूएचओ के अनुसार पूरी दुनिया में ADR (Adverse Drug Reactions And Its Side Effects) से मरने वाले लोगों की संख्या 30 प्रतिशत है। कोई भी पैथी जब किसी एक बीमारी को खत्म करती है तो उसी के साथ किसी दूसरी बीमारी को पैदा कर देती है, फिर उसके लिए एक नई दवाई खाते हैं, उससे फिर कोई नई बीमारी। कुल मिलाकर हम सब का हाल अभिमन्यु की तरह हो गया।अभिमन्यु अर्जुन के पुत्र जिसको कौरवों ने महाभारत के युद्ध में अपने चक्रव्यूह में फंसा दिया था। ठीक उसी तरह इन सो कॉल्ड ट्रीटमेंट्स के चक्रव्यूह में हम फंसे हैं।
एक सर्वे के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 70 प्रतिशत लोग लाइफ स्टाइल डिजीज के शिकार हैं। इस बात को तो मेडिकल साइंस ने भी माना हैं कि जितनी भी लाइफ स्टाइल डिजीज हैं उन सब का कनेक्शन प्वाइंट ब्रेन है। मतलब एक बहुत बड़ी लिस्ट उन बीमारियों की है जो मेन्टल स्ट्रेस के कारण होती हैं। अगर ये स्ट्रेस खत्म हो जाए तो हमारी लाइफ से 70 प्रतिशत बीमारियां भी खत्म हो जाएंगी। हमारा शरीर नेचुरल तत्वों से बना है, किसी प्रकार की कोई समस्या आ जाए तो उसे नेचुरोपैथी से ही ठीक करना चाहिए। स्ट्रेस की दूसरी कैटेगरी को कौन सी थेरेपी ठीक करेगी, विचारों की शक्ति अपने आप में एक महा शक्ति है, उस पर काबू पाने के लिए उससे अधिक शक्ति शाली शक्ति, यानी ईश्वरीय शक्ति, आसान शब्दों में कहें तो अध्यात्म ही केवल और केवल हमारे स्ट्रेस को ठीक कर सकता है। पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए इन दोनों पर काम करना होगा तभी उपचार पूर्ण होगा।