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Light House Project: साल 2022 तक बेघरों को मिलेगा घर, ड्रोन कैमरे के जरिए PM मोदी ने की लाइट हाउस प्रोजक्ट की समीक्षा

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नई दिल्ली। बेघरों को घर दिलवाने के लिए चल रहा लाइट हाउस प्रोजक्ट का काम किस तरह चल रहा है इसकी समीक्षा आज खुद पीएम मोदी ने की। पीएम ने लखनऊ, राजकोट, इंदौर, रांची, अगरतला और चेन्नई में बन रहे इन फ्लैटों की समीक्षा ड्रोन कैमरे के जरिए की है। इस हाउसिंग प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि इस पर तेजी से काम करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं इन सभी छह जगहों पर मॉर्डन टैक्नोलोजी के तहत काम जारी है।

किस तरह के होंगे घर

इस प्रोजेक्ट के तहत जो घर इंदौर में बनाए जाएंगे, उनमें ईंट और गारे की दीवारे नहीं होंगी। उसकी जगह यहां प्री फेबरिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम का इस्तेमाल किए जाने की योजना है। वहीं राजकोट में बनाए जा रहे घरों में टनल के जरिए मोनोलिथिक कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाएगा। माना जा रहा है कि फ्रांस द्वारा दी गई इस तकनीक के जरीए इस प्रोजेक्ट में तेजी मिलेगी। इसके साथ ही यह घर ज्यादा आपदा को झेलने में भी सक्षम होंगे।

लखनऊ नें कनाडा की तकनीक से बनेंगे घर

बता दें कि योजना के तहत लखनऊ में बनने वाले घरों में कनाडा की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसमें पहले से ही इस तरह की दीवारें बनी रहेंगी जिनमें प्लास्टर और पेंट करने की भी कोई जरूरत नहीं है। अगरतला में यह हाऊस बनाने के लिए स्टील फ्रेम में तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह तकनीक को न्यूजीलैंड से मंगाई गई है। इन घरों को भूकंप का खतरा न के बराबर रहेगा।

बेघरों को मिलेगा घर

बता दें कि मोदी सरकार ने साल 2022 तक सभी बेघरों को घर मुहैया करवाने का लक्ष्य रखा है। जिसके तहत सभी को बेघर परिवारों को पक्का आवास मुहैया कराया जाना है। इस प्रोजेक्ट में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड और तमिलनाडु में गरीब लोगों को सरकार सस्ती कीमतों पर आवास देगी। पीएम मोदी ने 1 जनवरी 2021 में लाइट हाउस प्रोजेक्ट लॉन्च करते हुए साल 2022 तक इसे पूरा करने की लक्ष्य रखा था। लॉन्चिंग के दौरान पीएम ने कहा था कि ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट आधुनिक तकनीक से बनेंगे। ये ज्यादा मजबूत होंगे जिससे गरीबों को सुविधाजनक और आरामदायक घर मिले।

तेजी से होगा काम

पीएम मोदी के बयान के मुताबिक लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत देश के 6 शहरों में 365 दिनों में 1 हजार मकान बनाए जाएंगे। जिसका मतलब ये है कि रोजाना ढाई से तीन मकान बनेंगे। इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए विदेशी तकनीक का भी सहारा लिया गया है। इसलिए इंजीनियरों से इनका अध्ययन करने की अपील भी की।

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