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3 दिन की पैदल यात्रा, भूख से व्याकुल बच्ची और मंजिल से 3 किमी पहले सड़क पर तोड़ा दम, ये खबर आपको हिला देगी

रायपुर। कोरोनावायरस और लॉकडाउन के बीच कई ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं जो आप को झकझोर कर रख देंगी। लॉकडाउन के बीच कई ऐसी हृदय विदारक घटनाएं घट रही हैं। जो आने वाले वक्त में लंबे समय तक, या सदियों तक याद रखी जाएंगी। कभी कोई मां अपने बीमार बेटे से मिलने के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा बड़ी मुश्किलों से तय करती हुई पहुंचती है, तो कभी दुबई में बैठे मां-बाप को भारत में फेसबुक के जरिए अपने बेटे का अंतिम संस्कार देखना पड़ता है।

ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ से सामने आई है जहां बीजापुर में रहने वाली एक लड़की लॉकडाउन के बीच बस किसी तरह से घर तक पहुंचना चाहती थी। वहां के लिए निकली और रास्‍ते में चलते-चलते ही वो उस रास्ते पर पहुंच गई जहां से कोई कभी वापस नहीं आया। ये लड़की सिर्फ 12 साल की थी, मगर घर का पेट पालने के लिए पड़ोस के तेलंगाना में जाकर खेतों में काम करती थी। इस लड़की का नाम जमलो मकदम था। उसने जब शुरु में 21 दिन का लॉकडाउन हुआ तो किसी तरह बर्दाश्‍त कर लिया। मगर जब लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया तो उसके सब्र का बांध टूट गया।

गरीब और लाचार उस लड़की के पास काम तो वैसे भी था नहीं, तो उसने घर निकलने के लिए सोचा। घर की मंजिल तक पहुंचने के लिए उसको 150 किमी का फासला तय करना तहस। बिना किसी साधन के उसको घर जाना पड़ रहा था। मगर भूख के आगे लाचार उस मासूम के हौंसलों को तो मानो पंख लगे थे। गुर्बत से बचने की उड़ान के लिए उसने हौंसलों के पंख फैलाए मगर मुसीबतों की आंधी उसकी सांसों को निगल गई। गर्म रास्तों पर तीन दिन तक वो चलती रही थी। गांव अभी घंटा भर की दूरी पर था कि जमलो अचानक बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।

उस 12 साल की भूख से व्याकुल बच्ची ने वहीं दम तोड़ दिया। उसके साथियों ने बताया कि लगातार उसका पेट दर्द हो रहा था मगर इसके बावजूद भी उसने आखिरी सांस तक हार नहीं मानी, लड़खड़ाते हुए वो यूंही चलती रही। मगर मंजिल तक पहुंचने से पहले ही उसके कदम थम गए, वो जा चुकी थी, किसी दूसरी मंजिल की ओर।

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