नई दिल्ली। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’, यानी कि जहां देवी की पूजा की जाती है वहां देवता का निवास होता है। इस श्लोक को चरितार्थ कर दिखाया है, एक समाजसेवी ने। दरअसल नवरात्रि के मौके पर समाजसेवी पंकज लूथरा ने 5100 कन्याओं का पूजन किया। बता दें कि देशभर में सोमवार को महानवमी का पर्व मनाया गया। नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि की पूजा बिना कन्या के अधूरी मानी जाती है। समापन के दिन 9 कन्याएं और एक बालक की भैरों के रूप में पूजे जाना शुभ माना गया है।
इन्हीं धार्मिक मान्यताओं को पूर्ण करने की कोशिश समाजसेवी पंकज लूथरा की है। उन्होंने आज 5100 कन्याओं का पूजन किया। खास बात ये है कि ये सभी कन्याएं समाज के पिछड़े और गरीब तबके से आती हैं। पंकज लूथरा समाजसेवी होने के साथ-साथ निगम पार्षद भी हैं। बता दें कि इन्होंने कई निराश्रित बच्चों की मदद भी की है। उन्होंने ऐसे बच्चों की पढ़ाई लिखाई में सहयोग भी किया है।
पंकज लूथरा के अनुसार, जहां चरित्रवती सात्विक नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते है। पराई नारी को माता-बहिन बेटी के समान समझाना चाहिए। आपको जन्म देनी वाली माता ही अगर आपसे प्रसन्न नहीं है तो वैष्णो माता आपसे कैसे प्रसन्न होगी? यदि आपकी घर की लक्ष्मी प्रसन्न नहीं होती तो आपसे धनलक्ष्मी कैसे खुश हो सकती है?