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Maha Vikas Aghadi Manifesto Says Quota Will Be Raised: महाविकास अघाड़ी ने घोषणा पत्र में आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाने का वादा किया; बेरोजगारों, महिलाओं और किसानों के लिए भी योजनाओं का एलान

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी का मुकाबला कर रही कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी और शरद पवार के एनसीपी गुट की महाविकास अघाड़ी ने रविवार को मुंबई में अपना घोषणा पत्र जारी किया। इस मौके पर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद थे। मल्लिकार्जुन खरगे ने घोषणा पत्र जारी करने के बाद बंटेंगे तो कटेंगे के नारे पर ये पूछकर सवाल उठाया कि इसका क्या मतलब है, आप किसको काटेंगे? खरगे ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बारे में कहा कि उन्होंने कुर्बानी दी। पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए मल्लिकार्जुन खरगे बोले कि मोदी जी कहते हैं कि एक हैं तो सुरक्षित हैं। नहीं पता कि कौन सा नारा काम करेगा, लेकिन आप उनमें से हैं जिन्होंने आजादी दिलाने वालों को मार डाला। उन्होंने संविधान की किताब का नाम लेकर पीएम मोदी पर सीधा निशाना भी साधा।

महाविकास अघाड़ी के घोषणा पत्र को जारी करने के दौरान संजय राउत, सुप्रिया सुले भी मौजूद थे। महाविकास अघाड़ी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि जाति जनगणना कराएंगे और तमिलनाडु की तरह आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा हटा देंगे। अघाड़ी ने बेरोजगारों को हर महीने 4000 रुपए देने, 25 लाख की स्वास्थ्य बीमा लाने और मुफ्त दवाइयां देने का भी वादा किया है। महाविकास अघाड़ी ने 5 गारंटी भी दी है। पहली गारंटी महालक्ष्मी योजना की है। इसके तहत महिलाओं को हर महीने 3000 रुपए दिए जाएंगे। उनको बस में टिकट भी नहीं लेना होगा। दूसरी गारंटी में जातीय जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाना है। तीसरी गारंटी कुटुंब रक्षा योजना के तहत मुफ्त दवा और 25 लाख तक मुफ्त इलाज का है। किसानों का 3 लाख तक कर्ज माफ करना चौथी गारंटी है। किसान अगर समय पर कर्ज चुकाए, तो उसे 50000 रुपए भी मिलेंगे। महाविकास अघाड़ी की पांचवीं गारंटी युवाओं को हर महीने भत्ता देने का है।

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा की 288 सीटों के लिए मतदान होना है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती भी 23 नवंबर को होगी। 2019 में अविभाजित शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल किया था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने सीएम पद पर दावा ठोक दिया। जिसकी वजह से बीजेपी से उनके रिश्ते टूट गए। इसके बाद उद्धव कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी की मदद से सीएम तो बने, लेकिन उनकी शिवसेना और पवार की एनसीपी में टूट हो गई। फिर चुनाव आयोग ने असली शिवसेना का चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे के गुट को दे दिया और अजित पवार को असली एनसीपी का घड़ी चुनाव चिन्ह देने का भी आदेश दिया।

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