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Maharashtra: मालेगांव ब्लास्ट मामले में एक और गवाह मुकरा, CM योगी-साध्वी प्रज्ञा समेत सभी को फंसाने के लिए टॉर्चर करने का आरोप

Malegaon Blast Case

मुंबई। महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में मस्जिद के बाहर हुए बम धमाके के मामले में एक और गवाह बयान से मुकर गया है। इस मामले में अब तक 26 में से 17 गवाह बयान से पलटे हैं। आज गवाह ने मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र एटीएस के अफसरों ने मुझे पीटा, हाथापाई की और मुझ पर बंदूक तानकर झूठी गवाही देने के लिए कहा। उसने कहा कि मैंने एटीएस को कोई बयान नहीं दिया था। मुझे तीन-चार दिन हिरासत में रखकर थर्ड डिग्री दी गई और कहा गया कि इस मामले में आरएसएस नेताओं के नाम लो। गवाह ने जज को बताया कि एटीएस के एक अफसर ने मुझे कहा कि अगर तुम आरएसएस के नेताओं का नाम नहीं लोगे और किसी से इस टॉर्चर के बारे में जिक्र करोगे, तो तुम्हे और परेशान होना पड़ेगा। मालेगांव मस्जिद के बाहर हुए धमाके में 6 लोगों की जान गई थी। घटना में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में भोपाल से मौजूदा बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी आरोपी हैं। इस मामले की जांच पहले महाराष्ट्र एटीएस ने की थी। बाद में जांच एनआईए को सौंप दी गई।

इससे पहले एक गवाह ने कोर्ट में आरोप लगाया था कि एटीएस ने उसे प्रताड़ित कर जबरन योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए कहा था। उसका कहना है कि एजेंसी की टेढ़ी नजर संघ के कुछ नेताओं पर भी थी। उनका नाम लेने के लिए भी उस पर जोर डाला गया था। मालेगांव ब्लास्ट के मुख्य आरोपी के तौर पर 4 और कुल 7 लोगों का नाम सामने आया था। चार मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय और स्वामी दयानंद पांडे हैं।

एनआईए ने इस मामले में कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा समेत कुल 7 आरोपियों पर आतंकी साजिश रचने का आरोप तय किया था। एटीएस का दावा था कि सारे आरोपियों के तार साल 2006 में मालेगांव में हुए धमाके से भी जुड़े थे।

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