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Maratha Reservation Agitation: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग ने फिर पकड़ा जोर, आंदोलनकारियों के नेता मनोज जरांगे बोले- मरते दम तक अब करूंगा भूख हड़ताल

manoj jarange

जालना। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग फिर भड़कती दिख रही है। मराठा आरक्षण की मांग कर रहे शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने इस मुद्दे पर फिर भूख हड़ताल करने की घोषणा कर दी है। जरांगे ने कहा कि सरकार को मराठा आरक्षण लागू करने के लिए उन्होंने 40 दिन का समय दिया। फिर भी इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक रुख नहीं दिख रहा। इसलिए फिर जरांगे ने भूख हड़ताल शुरू करने का फैसला किया है। मनोज जरांगे पाटिल ने कहा है कि भले जान चली जाए, लेकिन मराठा समुदाय को आरक्षण न मिलने तक इस बार वो भूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। जरांगे ने कहा कि पीएम मोदी कहते हैं कि गरीबों पर दया आती है, लेकिन उनकी बात पर शक होता है। जरांगे ने कहा कि अंदरखाने कुछ पक रहा है। वरना सीएम एकनाथ शिंदे छत्रपति शिवाजी की शपथ लेकर मराठा आरक्षण के लिए काम करने की बात नहीं कहते।

सितंबर में सीएम एकनाथ शिंदे ने मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल आश्वासन देकर खत्म कराई थी।

मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि अगर पीएम मोदी सिर्फ एक फोन कर दें, तो आरक्षण मिल जाएगा। ये सिर्फ कागजों में घूम रहे हैं। बता दें कि एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को दशहरा रैली में कहा था कि वो हर हाल में मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए कोशिश जारी रखेंगे। शिंदे सरकार में शामिल एनसीपी गुट के नेता और डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी ऐसी ही बात की थी। दरअसल, मनोज जरांगे पाटिल पहले भी मराठा आरक्षण की मांग पर भूख हड़ताल कर चुके हैं। 14 सितंबर को एकनाथ शिंदे की तरफ से भरोसा दिए जाने के बाद जरांगे ने सरकार को 40 दिन का वक्त दिया था। ये समयसीमा मंगलवार रात खत्म हो गई। जरांगे ने पहले ही कहा था कि अगर मराठा आरक्षण नहीं मिला, तो वो भूख हड़ताल कर जान दे देंगे। वहीं, एकनाथ शिंदे ने कल दशहरा रैली में आंदोलनकारियों से आग्रह किया था कि वो कोई अप्रीतिकर कदम न उठाएं।

आरक्षण समर्थकों का कहना है कि 1948 तक निजाम के शासन के दौरान उनको कुनबी माना जाता था। फिर वो कुनबी जाति का सर्टिफिकेट चाहते हैं और ओबीसी का दर्जा देने की भी मांग कर रहे हैं। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय काफी ताकतवर है। अब तक मराठा समुदाय के 12 सीएम यहां हो चुके हैं। एकनाथ शिंदे भी मराठा समुदाय के हैं। महाराष्ट्र में करीब 33 फीसदी मराठा समुदाय की आबादी है। मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए साल 2014 में तब के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने नारायण राणे आयोग की रिपोर्ट के बाद मराठा को 16 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था। इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ। फिर बंबई हाईकोर्ट ने इस आरक्षण को सरकारी नौकरी में 13 और शिक्षा में 12 फीसदी किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया। जिसके बाद अब फिर बड़े पैमाने पर आंदोलन हो रहा है।

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