फिल्लौर। जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने के लिए लंदन जाकर 13 मार्च 1940 को अंग्रेज अफसर माइकल ओ डायर की हत्या करने वाले अमर शहीद उधम सिंह की इस साल 84वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। गुरुवार को शहीद उधम सिंह पर बनी फिल्म को 5 राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं। इन सबके बीच अब शहीद उधम सिंह के बारे में एक और बड़ी खबर सामने आई है। पंजाब के फिल्लौर स्थित पुलिस अकादमी में शहीद उधम सिंह की अंगुलियों के छाप वाला दस्तावेज मिला है। ये जानकारी अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ ने दी है। अखबार के अनुसार साल 1927 में उधम सिंह को गदर पार्टी की गतिविधियों के कारण गिरफ्तार किया गया था। उसी दौरान अमर शहीद की अंगुलियों के छाप लिए गए थे। फिल्लौर स्थित पुलिस अकादमी में पुराने दस्तावेज, हथियार और अन्य केस की फाइलें रखी हुई हैं। इनमें ही उधम सिंह की अंगुलियों के छाप वाला कागज मिला है।
उधम सिंह को जब 1927 में पंजाब की तत्कालीन पुलिस ने गिरफ्तार किया था, तब उनके पास पिस्टल और गदर पार्टी के अखबार गदर दी गूंज की प्रति मिली थी। उस समय उधम सिंह को कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई थी। उसी दौरान अमर शहीद उधम सिंह की अंगुलियों की छाप ली गई थी। पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने द ट्रिब्यून को बताया कि अमर शहीद के बारे में मिली ताजा जानकारी से वो बहुत उत्साहित हैं। डीजीपी के मुताबिक अमर शहीद उधम सिंह की अंगुली की छापों को जल्दी ही लोगों के दर्शनार्थ रखा जाएगा। इससे पहले फिल्लौर की पुलिस अकादमी में ही शहीद भगत सिंह की पिस्टल भी मिली थी। इस पिस्टल को पहले गुम माना जा रहा था।
उधम सिंह की अंगुलियों के जो निशान वाला कागज मिला है, उसमें शेर सिंह नाम लिखा है। पिता का नाम तेहल सिंह है। अंगुलियों के ये निशान 10 अक्टूबर 1927 को लिए गए थे। साल 1940 की तारीख भी कागज में दर्ज है। माना जा रहा है कि उधम सिंह की अंगुलियों के निशान को तब पंजाब पुलिस ने लंदन भेजा था। जहां उधम सिंह माइकल ओ डायर की हत्या के मामले में केस का सामना कर रहे थे। अमर शहीद उधम सिंह का मूल नाम शेर सिंह ही था। हालांकि, वो खुद का नाम हमेशा राम मोहम्मद सिंह आजाद बताते थे। वो पंजाब के सुनाम के निवासी थे। 26 दिसंबर 1899 को उनका जन्म हुआ था। उधम सिंह के पिता का नाम तेहल सिंह और मां का नाम नारायण कौर था। उधम सिंह के बड़े भाई का नाम साधु सिंह था। जब उधम सिंह 3 साल के थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया था। कुछ समय बाद पिता भी स्वर्गवासी हो गए थे। उधम सिंह और उनके भाई साधु सिंह को सेंट्रल खालसा अनाथालय ने गोद लिया था। जहां उनको उधम सिंह और भाई को मुक्ता सिंह का नाम दिया गया।