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Maharashtra: सीएम शिंदे और शरद पवार के बीच हुई मुलाकात, महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज

Maharashtra: एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए।  ध्यान दें कि उद्धव ठाकरे ने एनसीपी , कांग्रेस के साथ गठबंधन की नौका पर सवार होकर अपनी सरकार बनाई थी। जिससे खफा होकर एकनाथ शिंदे ने उद्धव के खिलाफ मोर्चा खोल दिाय था।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच आज राकांपा प्रमुख शरद पवार की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात हुई। यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है, जब बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, उद्धव गुट ने कोर्ट से यह मांग की थी कि महाराष्ट्र सरकार में जारी सियासी खींचतान का हल निकालने के लिए मामले को बड़ी बैंच को भेजने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने यह मांग खारिज कर दी। इसके साथ ही शिंदे सरकार को संवैधानिक रूप से मान्यता दे दी। जिसे एकनाथ शिंदे गुट के लिए बड़ा झटका बताया गया। अब ऐसी सूरत में राकांपा प्रमुख शरद पवार की शिंदे संग हुई मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सनद रहे कि बीते शरद पवार ने एनसीपी प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन काफी मान-मनौव्वल के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। दरअसल, उन्होंने अपनी बढ़ी उम्र का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद एनसीपी कार्यकर्ताओंं ने उनसे भावुक अपील की थी। उनके  इस्तीफे के बाद माना जा रहा था कि एनसीपी की कमान अब अजीत पवार या सुप्रीया सुले में से किसी एक को मिल सकती है, लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस रेस में सुप्रीया सुले के नाम को लेकर चर्चा चरम पर थी, क्योंकि अजीत पवार ने मीडिया से बातचीत के दौरान पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वो एनसीपी प्रमुख के पद के लिए बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं हैं।

लेकिन, बाद में बाजी पलट गई, जब शरद पवार ने अपने इस्तीफा देने के फैसले को वापस ले लिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने बयान में कहा कि एनसीपी कार्यकर्ताओं की भावुक अपील ने उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने पर बाध्य कर दिया है। उधर, उनके इस्तीफे के बाद माना जा रहा था कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन में आंच आ सकती है, लेकिन बाद में उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कर दिया कि शरद पवार के इस्तीफे का गठबंधन से कोई सरोकार नहीं है। गठबंधन बिल्कुल महफूज है, लेकिन अब जिस तरह से शरद पवार ने सीएम शिंदे से मुलाकात की है, उसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सनद रहे कि साल 2022 में एकनाथ शिंदे ने तत्कालीन उद्धव सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार कर लिए थे। जिसके बाद उद्धव सरकार अल्पमत में आ गई थी। नतीजा यह हुआ कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

उनके इस्तीफे के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए थे। ध्यान दें कि उद्धव ठाकरे ने एनसीपी, कांग्रेस के साथ गठबंधन की नौका पर सवार होकर सरकार बनाई थी। जिससे खफा होकर एकनाथ शिंदे ने उद्धव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जिसका नतीजा यह हुआ उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था। दरअसल, 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने तय किया था कि वह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएगी, लेकिन चुनाव संपन्न होने के बाद दोनों पार्टियों के बीच सीएम पद को लेकर पेंच फंस गया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे अपनी हिंदुत्ववादी विचारधारा से समझौता करते हुए सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिला। इस तरह से उद्धव ठाकरे सीएम की कुर्सी पर विराजमान तो गए, लेकिन अफसोस अपनी पारी मुकम्मल नहीं कर पाए। बहरहाल, अब आगामी दिनों में सीएम शिंदे और शरद पवार के मुलाकात का क्या नतीजा निकलता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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