News Room Post

मोदी और गुजरात सरकार मिलकर कराएगी साबरमती आश्रम का जिर्णोद्धार, अशोक गहलोत को लगी मिर्ची तो करने लगे इसपर सियासत

नई दिल्ली। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने गुजरात सरकार (Government of Gujarat) द्वारा लिए गए साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) को तोड़कर संग्रहालय (Museum) बनाने के फैसले की निंदा की है। सोमवार को अशोक गहलोत ने इस फैसले पर कहा कि  गुजरात सरकार का यह फैसला बेहद चौंकाने वाला और अनुचित है। उन्होंने साबरमती आश्रम को पवित्र जगह बताते हुए कहा कि लोग इस पवित्र स्थल पर लोग देखने आते हैं कि आखिर किस तरह से महात्मा गांधी ने अपनी जीवन में सादगी को उतारा। और कैसे इसके साथ अपना जीवन बिताते हुए समाज के हर वर्ग को एक साथ लेकर देश को आजाद कराने के लिए एक बड़ा स्वतंत्रता आंदोलन खड़ा कर दिया। वो भी तब जब समाज में पूरी तरह से बंटा हुआ था। सीएम गहलोत ने कहा कि उन्होंने अपने बहुमूल्य जीवन के 13 वर्ष आश्रम में बिताये हैं। ऐसे में गुजरात सरकार उसे तोड़ना चाहती है।

US President Donald Trump outside Sabarmati Ashram
फाइल फोटो

बता दें कि गुजरात सरकार साबरमती आश्रम को तोड़कर उसे संग्रहालय में बदलना चाहती है। इससे वहां आधुनिक सुविधाओं की भरमार होगी। लोगों को महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी जानकारियों को अच्छे तरीके से जानने का मौका मिलेगा। वहीं संग्रहालय के खिलाफ होने को लेकर सीएम गहलोत ने कहा कि, यहां लोग साबरमती आश्रम सद्भाव (Harmony) और बंधुत्व (Brotherhood) से जुड़े विचारों को जानने के लिए आते हैं, और इसी के लिए ये जाना जाता है, यहां देश या विदेश के लोग आते हैं। वो यहां कोई विश्व स्तर की इमारत देखना नहीं चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘‘आगंतुक यहां जिस तरह की अभी सादगी है, लोग उसे देखना चाहते हैं, और गांधी के आदर्शों की प्रशंसा करते हैं। इसलिये इस जगह को आश्रम कहा जाता है। ऐसे में यहां संग्रहालय बनाना ठीक नहीं है। यह स्थान संग्रहालय कहलाने के लिये नहीं है।’’ अशोक गहलोत ने कहा, ‘‘आश्रम की जगह संग्रहालय बनाना, यहां की पवित्रता और गरिमा को नष्ट करना है, यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि यहां संग्रहालय बनाने का फैसला लेना, लगता है कि यह राजनीतिक मकसद से प्रेरित है। सरकार का यह फैसला गांधी जी से जुड़ी हर चीज को बदलने के लिये लिया गया है।’’ पीएम मोदी से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि, इस तरह के फैसलों पर प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए। इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए।

Exit mobile version