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Pegasus Row: मोदी सरकार ने SC में दी ये दलील, नजरदारी की जांच पर अब कोर्ट करेगा फैसला

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नई दिल्ली। पेगासस स्पाईवेयर के जरिए नजरदारी के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है। इसलिए सोमवार को दो पेज का ही उसने हलफनामा दिया था। केंद्र की बात सुनने के बाद कोर्ट ने उसे नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 10 दिन बाद तय की है। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नजरदारी के लिए सरकार कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करती है या कौन सा नहीं करती, ये हलफनामे में नहीं बताया जा सकता।

उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है और इस बारे में सार्वजनिक मंच पर बहस नहीं हो सकती। मेहता ने कहा कि मोदी सरकार जांच के लिए एक्सपर्ट्स की कमेटी बनाना चाहती है और कमेटी के सामने हर बात विस्तार से रखेगी। पेगासस के बारे में उनका कहना था कि इससे जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

इस पर चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि हम सिर्फ लोगों की जासूसी की वैधता के पहलू पर नोटिस जारी कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार के जवाब के बाद हम जांच कमेटी बनाने के बारे में फैसला करेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को संवेदनशील जानकारी साझा करने की कोई जरूरत नहीं है।

सरकार ने सोमवार को दो पेज का हलफनामा कोर्ट में दिया था। इसमें कहा गया था कि पेगासस मामले पर आईटी मंत्री संसद में जवाब दे चुके हैं और सरकार इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकती। बता दें कि 19 जुलाई को संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के एक दिन पहले 17 मीडिया संगठनों ने राहुल गांधी समेत तमाम नामों की लिस्ट जारी की थी। मीडिया संस्थानों का दावा था कि इन सबकी पेगासस के जरिए जासूसी की गई। सरकार ने संसद में इसका खंडन किया था।

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