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Hyderabad Masjid: मोदी सरकार ने बढ़ाई हैदराबादी भाईजान की टेंशन, मस्जिदों में लगी लंबी-लंबी लाइनें

Modi and Marriage

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने वाला बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक 2021 लोकसभा में पेश किया लेकिन विपक्षी दलों की आपत्ति के बाद इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। ये विधेयक न तो अभी न तो लोकसभा से पास हुआ है और न ही राज्यसभा से लेकिन इसे लेकर हैदराबादी भाईजान की टेंशन ज़रूर बढ़ गई है, क्या है इसकी वजह बताएंगे आपको लेकिन पहले जान लीजिए कि इस विधेयक में क्या है। संसद के इसी शीतकालीन सत्र में लोअर हाउस यानि लोकसभा में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया जिसके तहत लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल किए जाने का प्रावधान है।

ये बिल लाने के पीछे सरकार ने तर्क दिया कि इससे लड़कियों को पढ़ाई करके कैरियर बनाने के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिलेंगे, लेकिन विपक्षी नेताओं के विरोध के बाद इसे संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया। चूंकि कानून बन जाने के बाद इसके प्रावधान सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होंगे इसलिए देश के कुछ रूढ़िवादी विचारों वाले मज़हबी ठेकेदारों ने इसे अपने मज़हब के पर्सनल लॉ में दखल बताकर इसका जमकर विरोध किया।अभी इस बिल के कानून बनने में कई पेंच हैं लेकिन इस बीच हैदराबाद से बड़ी दिलचस्प खबर सामने आई।

दरअसल, वहां के पुराने इलाकों की मस्जिदों में निकाह के लिए लंबी लाइन लगी हुई हैं। इस संशोधित कानून के लागू होने से पहले जल्द से जल्द मुस्लिम लड़कियों का निकाह कराने की होड़ मची है। हैदराबाद की इन मस्जिदों में जो निकाह हो रहे हैं उनमें दुल्हनों की उम्र 18 से 20 साल के बीच है। ज्यादातर लड़कियों की शादी 2022 से 2023 के बीच होनी थी लेकिन बिल पास होने के डर से उनके परिवारों मे हड़बड़ी है और वे तय तारीख से पहले ही लड़की की शादी कराने की जल्दबाज़ी में हैं।

इसकी वजह से काज़ियों के भाव भी खूब बढ़ गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक इलाके में 40 से ज्यादा निकाह हो सकते हैं। वहीं हैदराबाद के मुस्लिम धर्मगुरूओं का कहना है कि सरकार का ये बिल मुस्लिम पर्सनल लॉ में घुसपैठ है, यदि ये पारित हो जाता है तो इससे लड़कियों की सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ जाएंगी। अब ये बिल संसद के अगले सत्र में पास हो जाएगा ये अभी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन फिर भी हैदराबाद की मस्जिदों का ये हाल देखकर यही लगता है- ‘सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा’।

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