नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है। इसके बाद पाकिस्तान में तालिबान की तारीफ हो रही है। खुफिया जानकारी के मुताबिक भारत विरोधी आतंकियों की भी तालिबान से साठ-गांठ है। ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार अब किसी भी सूरत में तालिबान की मदद से इस केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद को सिर उठाने नहीं देगी। इस सिलसिले में गृहमंत्री अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बैठक की। इसमें सुरक्षा तंत्र से जुड़े बड़े अफसर भी थे। सुरक्षा व्यवस्था को चौकस करने का फैसला इस बैठक में लिया गया। फिलहाल सरकार को नहीं लगता कि तालिबान तुरंत ही पाकिस्तानी आतंकी गुटों को मदद देगा, लेकिन भविष्य की चिंता में अभी से सुरक्षा व्यवस्था का हाल चौकस करने का फैसला किया गया है।
बता दें कि तालिबान और पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को आईएसआई ही हर तरह की मदद दे रही है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को चौकस करने के लिए मोदी सरकार ने कमर कस रखी है। खुफिया एजेंसियों को चौकन्ना रहने और हर छोटी-बड़ी जानकारी एक-दूसरे से साझा करने के लिए बैठक में कहा गया है। इसके अलावा बैठक में जम्मू-कश्मीर में विकास की योजनाओं को गति देने पर भी चर्चा हुई। सरकार का मानना है कि इसके जरिए ही लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है।
बता दें कि 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद आतंकी घटनाओं में कमी आई है। तमाम बड़े आतंकी भी मार गिराए गए हैं। वहीं, पाकिस्तान लगातार इस मुद्दे को उठाता रहता है। पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पीटीआई के एक नेता ने हाल ही में उम्मीद जताई कि तालिबान की मदद से पाकिस्तान अब कश्मीर पर भी कब्जा जमा सकता है। इसी से सरकार के कान खड़े हुए हैं।