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Morbi Bridge : गुजरात HC ने मोरबी नगर पालिका को लगाई फटकार, सरकार से पूछा- पुल की मरम्मत के लिए टेंडर क्यों नहीं निकला

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में कुछ समय पहले मोरबी में एक पुल हादसा हुआ था। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद देशभर में गुजरात के पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट को लेकर खूब हंगामा मचा था। गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार (15 नवंबर) को मोरबी पुल हादसे के मामले में पुल के रखरखाव के लिए जिस तरीके से ठेका दिया गया उसकी आलोचना की। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई टेंडर जारी किए बिना राज्य की उदारता दी गई थी। आपको बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने मुख्य सचिव से पूछा कि एक सार्वजनिक पुल के मरम्मत कार्य के लिए टेंडर क्यों नहीं जारी किए गए? और बोलियां क्यों नहीं आमंत्रित की गईं? कोर्ट ने मोरबी नगर पालिका को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि नोटिस के बावजूद वे अदालत में नहीं आए हैं, ऐसा लगता है कि “वे ज्यादा होशियार बन रहे हैं, बल्कि उन्हें सवालों के जवाब देने चाहिए।”modi and morbi bridge collapse

क्या नगर नगर निकाय की है चूक ?

गौरतलब है कि मोरबी नगर पालिका ने ओरेवा ग्रुप को 15 साल का ठेका दिया था, जो कि अजंता ब्रांड की वॉल क्लॉक के लिए जाना जाता है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “नगर पालिका, जो एक सरकारी निकाय है, उसने चूक की है, जिसने 135 लोगों को मार डाला। क्या गुजरात नगर पालिका अधिनियम, 1963 का पालन किया गया था।”

कोर्ट ने उठाए महत्वपूर्ण सवाल

मोरबी पुल हादसे में कई निर्दोषों की जान जाने के बाद देशभर में इस हादसे को लेकर गुजरात सरकार पर सवाल उठाए गए थे। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, “इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए महज डेढ़ पेज में एग्रीमेंट कैसे पूरा हुआ? क्या बिना किसी टेंडर के अजंता कंपनी को राज्य की उदारता दी गई?” अदालत ने इस त्रासदी पर खुद संज्ञान लिया था और कम से कम छह विभागों से जवाब मांगा था. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री मामले की सुनवाई कर रहे हैं।

इस मामले में अब तक, अनुबंधित कंपनी के कुछ कर्मचारियों को ही गिरफ्तार किया गया है, जबकि शीर्ष प्रबंधन, जिसने 7 करोड़ के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, को कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा है। इसी के साथ अभी तक किसी भी अधिकारी को पुल के नवीनीकरण से पहले फिर से खोलने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। अदालत ने पहले दिन से अनुबंध की फाइलें सीलबंद लिफाफे में जमा करने को भी कहा। गौरतलब है कि सरकार की ओर से इस हादसे के बाद घायलों और मृतकों को बड़े पैमाने पर मुआवजा देने की घोषणा की गई थी।

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