नई दिल्ली। नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिए जाने में मानको को दरकिनार करते हुए फर्जीवाड़े को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेशों का पालन न करने के चलते नर्सिंग काउंसिल के उच्च अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी और न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की बेंच ने राज्य नर्सिंग परिषद के निदेशक और रजिस्ट्रार तथा भारतीय नर्सिंग परिषद के सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत की अवमानना करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय को नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता संबंधी दस्तावेज उपलब्ध ना कराने को लेकर भी जवाब मांगा है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जून की तारीख निर्धारित की है।
विधि छात्र संघ की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें सत्र 2020-21 के लिए लगभग 600-700 महाविद्यालयों को मान्यता प्रदान करने में अधिकारियों द्वारा अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद प्रतिवादी एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा सिर्फ 44 महाविद्यालयों से संबंधित दस्तावेज ही उपलब्ध कराए गए। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के पिछले आदेशों का अनुपालन ना करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी।
हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि प्रतिवादी संगठन न्यायालय के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं, इससे यह पता चलता है कि वो कुछ तथ्यों को छिपाना चाहते हैं ताकि उनके अवैधानिक कार्य कोर्ट के समक्ष उजागर ना हो सकें। राज्य के प्रमुख सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा को निर्देशित किया जाता है कि वे निर्धारित तिथि को इस न्यायालय के समक्ष मप्र नर्सिंग काउंसिल के निदेशक एवं रजिस्ट्रार की उपस्थिति सुनिश्चित करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट के लिए कोई भी आवेदन कोर्ट के द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।