नई दिल्ली। नये कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का आंदोलन गुरुवार को 15वें दिन जारी है और किसान नेता आंदोलन को आगे और तेज करने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, नये कानूनों में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद सरकार के साथ किसान नेताओं की बातचीत का मार्ग टूट गया है और इस दिशा में फिलहाल कोई नई पहल नहीं हुई है। इस बीच कृषि कानूनों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए है। तय समय में भुगतान की व्यवस्था की गई है। किसानों की जमीन सुरक्षित रखने का ध्यान रखा गया है। नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं।
#WATCH LIVE: Minister of Agriculture and Farmer Welfare, Narendra Singh Tomar addresses the media, in Delhi. https://t.co/SRJyIhIzIu
— ANI (@ANI) December 10, 2020
तोमर ने कहा कि सरकार किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद करना चाहती थी जिससे वे अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी को भी, अपनी कीमत पर बेच सकें। कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि अभी कोई भी कानून यह नहीं कहता कि तीन दिन बात उपज बेचने के बाद किसान को उसकी कीमत मिलने का प्रावधान हो जाएगा, लेकिन इस कानून में यह प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें लगता था कि लोग इसका फायदा उठाएंगे, किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा, बुवाई के समय उसे मूल्य की गारंटी मिल जाएगी और किसान की भूमि को पूरी सुरक्षा देने का प्रबंध किया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि, उनकी पहली मांग कानून निरस्त करने की थी। सरकार का पक्ष है कि कानून के वो प्रावधान जिनपर किसानों को आपत्ति है उन प्रावधानों पर सरकार खुले मन से बातचीत करने के लिए तैयार है। सरकार की कोई इगो नहीं है और सरकार को उनके साथ बैठकर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं है।
उन्होंने कहा कि कई बार ये कहा गया कि किसानों की भूमि पर बड़े उद्योगपति कब्ज़ा कर लेंगे। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पहले से ही देश के कई राज्यों में होती रही है। इस कानून के अंतर्गत एग्रीमेंट प्रोसेसर और किसान की फसल बीच ही होगा,किसान की भूमि से संबंधित कोई करार इसमें नहीं हो सकता।
तोमर ने कहा कि आप सभी को मालूम है कि पहले यूरिया की काफी किल्लत होती थी और जब किसानों को जरूरत होती थी तो मुख्यमंत्री दिल्ली में आकर बैठ जाते थे। कई बार यूरिया लूटने की भी घटना होती थी। मोदी जी यूरिया की पूर्ति नियमित की।
उन्होंने कहा कि हम लोगों को लगता था कि कानूनी प्लेटफॉर्म का फायदा लोग अच्छे से उठाएंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा। नई तकनीक से जुड़ेगा। बुआई के समय ही उसको मुल्य की गारंटी मिल जाएगी। कृषि क्षेत्र में जो कानून बने उन पर लोकसभा और राज्यसभा में चार चार घंटे बहस हुई थी। दोनों कानून पारित हुए और महामहिम राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद लागू हुए। कृषि के क्षेत्र में काफी कुछ करने का प्रयत्न किया जाता रहा है।
नरेंद्र तोमर ने कहा कि कल भी समाचार आया था कि जैसी सुरक्षा नड्डा जी को अपेक्षित थी वो उन्हें नहीं दी गई। सामान्यतः मतभिन्नता लोकतंत्र में स्वाभाविक है पर ऐसी घटनाएं देखने को नहीं मिलती थी। इस घटना पर सरकार की अनदेखी घोर निंदनीय है। मैं संबंधित लोगों पर कार्रवाई की मांग करता हूं।