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Rahul Gandhi INC: राहुल द्वारा पीएम मोदी की तानाशाहों से तुलना पर बवाल, अब इंदिरा गांधी और सद्दाम के बीच संबंधों को लेकर उठा सवाल

Rahul Gandhi INC: राहुल गांधी को अब भाजपा की तरफ से सद्दाम के साथ इंदिरा एवं राजीव गांधी के संबंधों पर सफाई देनी पड़ेगी। और राहुल पहले की तरह ही इमरजेंसी वाले सवाल पर बयान देकर जैसे घिरे थे वैसे ही इस बार भी घिर गए हैं। भाजपा पहले से मानती रही है कि राहुल गांधी के पास तथ्यों का अभाव होता है, वह बोलने से पहले इस बात का पता नहीं करते कि हकीकत क्या है?

INDIRA SADDAM Rahul Gandhi

नई दिल्ली। अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों के साथ संवाद में राहुल गांधी को देश के लोकतंत्र की चिंता कम और नरेंद्र मोदी सरकार पर और खासकर नरेंद्र मोदी और संघ पर निशाना साधने का अच्छा मौका मिल गया था। विदेशी एजेंसी के द्वारा जारी किए गए भारत के लोकतंत्र के संबंध में रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी इतने विवादित बयान देने लगे कि पचा पाना मुश्किल था। राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी की तुलना सद्दाम हुसैन और गद्दाफी जैसे तानाशाहों से की तो वहीं उन्होंने आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे आतंकी संगठन से कर दी। हालांकि राहुल गांधी जब नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे थे तो वह भाजपा के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दिए गए बयान का हवाला दे रहे थे। लेकिन राहुल गांधी यह भूल गए कि अगर वह सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयान को इतनी तवज्जो देते हैं तो उन्हें स्वामी के उन बयानों पर भी गौर करना चाहिए जो उनके, उनकी मां सोनिया गांधी और उनके परिवार के लोगों को लेकर उनके द्वारा दिए गए हैं।

राहुल गांधी को देना होगा इंदिरा गांधी और सद्दाम हुसैन के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों पर जवाब 

ऐसे में अब भाजपा की तरफ से होनेवाले हमले के लिए भी राहुल गांधी को तैयार रहना पड़ेगा। राहुल को भाजपा की तरफ से सद्दाम हुसैन के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दोस्ताना संबंधों पर किए गए हमलों का भी सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा राजीव गांधी की सद्दाम हुसैन से मित्रता पर भी राहुल को जवाब देना पड़ेगा।

भारत और इराक के संबंध हालांकि काफी पुराने हैं, वह संबंध अभी के हाल के इराक से नहीं बल्कि मेसोपोटामिया साम्राज्य के समय से चले आ रहे हैं। भारत की आजादी के बाद स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वालों में इराक भी शामिल था। लेकिन इंदिरा गांधी और सद्दाम हुसैन के बीच के मैत्रीपूर्ण संबंध तो इन सबसे हटकर थे। कहते हैं कि सद्दाम हुसैन के दो बेटों का नामकरण भी इंदिरा गांधी ने ही किया था। इंदिरा ने ही सद्दाम हुसैन के दोनों बेटों उदय व कुशय का नाम रखा था। इसके साथ ही इस बात की भी गूंज खूब रही कि 1975 में जब इंदिरा गांधी इराक की यात्रा पर गईं, तो मेजबान सद्दाम हुसैन ने उनका सूटकेस उठाया था। वहीं जब इमरजेंसी के बाद 1977 का आम चुनाव हुआ था तो इंदिरा गांधी के रायबरेली से चुनाव हारने के बाद बगदाद में स्थाई आवास की पेशकश भी सद्दाम हुसैन ने की थी।

राहुल गांधी को अब भाजपा की तरफ से सद्दाम के साथ इंदिरा एवं राजीव गांधी के संबंधों पर सफाई देनी पड़ेगी। और राहुल पहले की तरह ही इमरजेंसी वाले सवाल पर बयान देकर जैसे घिरे थे वैसे ही इस बार भी घिर गए हैं। भाजपा पहले से मानती रही है कि राहुल गांधी के पास तथ्यों का अभाव होता है, वह बोलने से पहले इस बात का पता नहीं करते कि हकीकत क्या है?

जानिए अपने साक्षात्कार के दौरान कैसे अपनी भाषायी मर्यादा भूल गए राहुल गांधी

केंद्र सरकार, भाजपा और संघ पर तीखे हमले राहुल गांधी के लिए नए नहीं हैं। लेकिन राहुल गांधी अब लोकतंत्र की मर्यादा का हनन करते हुए कई तानाशाहों से देश के प्रधानमंत्री और संस्थाओं की तुलना करने लगे हैं। राहुल गांधी यह सब तब कर रहे हैं जब वह कह रहे हैं कि देश में बोलने की आजादी नहीं है। वह इस बात का भी जिक्र करते हैं कि सद्दाम हुसैन और गद्दाफी भी अपने देश में चुनाव कराते थे और फिर सरकार बनाते थे लेकिन फिर भी वह तानाशाह थे। मतलब राहुल गांधी का निशाना सीधे तौर पर स्वायत्त संस्था चुनाव आयोग पर था। राहुल यह बताना चाह रहे थे कि 2014 से पहले देश में चुनाव आयोग सही काम करती थी लेकिन अब सारा काम सरकार के इशारे पर हो रहा है। लेकिन यह बोलते हुए राहुल भूल गए कि इसी देश में राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड जैसे राज्यों में उनकी पार्टी की या फिर गठबंधन की सरकार है।

अगर ये सच है तो फिर यहां की जनता क्या नरेंद्र मोदी के प्रभाव को नहीं मानती या फिर जनता के विरोध की वजह से पीएम मोदी यहां सद्दाम और गद्दाफी जैसी तानाशाही को अंजाम नहीं दे पाए हैं। इसके साथ ही राहुल ने भारत की तुलना ऐसा कहकर इराक और लीबिया से भी कर दी। राहुल तो इस साक्षात्कार में कहते हैं कि लोकतंत्र में चुनाव सिर्फ यह नहीं है कि लोग गए और वोटिंग मशीन का बटन दबाकर मतदान कर दें। बल्कि यह लोकतंत्र में जरूरी है कि देखा जाए कि देश में किस तरह की सोच को तैयार किया जा रहा है। देश के शासन-प्रशासन में सभी संस्थाएं ठीक से काम कर पा रही हैं या नहीं, और देश में न्यायपालिका की हालत क्या है?

संसद में किन मुद्दों पर राय-मशविरा और बहस हो रही है। ये सब पहले से ही सरकार प्रायोजित हो गया है। इसके साथ ही राहुल गांधी अपने चिर परिचित अंदाज में संघ पर भी हमलावर नजर आए। जबकि राहुल गांधी इसी तरह के बयानों की वजह से उन्होंने संघ से बिना शर्त माफी भी मांगी है। इस बार वह संघ पर हमला करते-करते एक कदम आगे बढ़ गए और उन्होंने संघ की तुलना इस्लामिक देशों के आतंकी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से कर दी।

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