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बंगाल में हिंसा के लिए NHRC की टीम ने ममता सरकार पर उठाई अंगुली, CBI जांच की सिफारिश

Mamta Banerjee

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद चल रहे हिंसा के दौर के लिए राज्य की ममता बनर्जी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। टीम ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सीबीआई जांच की भी सिफारिश की है। NHRC की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बंगाल के तमाम जिलों में हिंसा की व्यापक घटनाएं हुई हैं और इन्हें रोकने में सरकारी तंत्र पूरी तरह नाकाम रहा है। टीम ने हाईकोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि चुनाव बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच कराई जाए। इसके अलावा सभी मामलों के मुकदमे पश्चिम बंगाल से बाहर करने, गवाहों को सुरक्षा देने, मामलों की मॉनीटरिंग, पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कदम उठाने की भी सिफारिश की है। अपने 50 पेज की रिपोर्ट में NHRC की टीम ने पश्चिम बंगाल सरकार के तंत्र को पूरी तरह नाकाम बताया है। रिपोर्ट में पांच जिलों का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि किस तरह यहां हिंसा का तांडव किया गया, लेकिन पुलिस ने पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कुछ नहीं किया है।

इस रिपोर्ट को देखने से पता चल रहा है कि पश्चिम बंगाल की पुलिस को हिंसा की एक-एक घटना की जानकारी है, लेकिन आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का उसका रवैया ढुलमुल है। रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल के डीजीपी के हवाले से बताया गया है कि कूचबिहार में हिंसा के 2264 आरोपी हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ पांच फीसदी की ही गिरफ्तारी हुई है। इसी तरह हावड़ा ग्रामीण में 137 आरोपियों में से सिर्फ तीन फीसदी ही गिरफ्तार किए गए हैं। जबकि बारुईपुर में 12 फीसदी, बीरभूम में 18 फीसदी और बशिरहाट में 17 प्रतिशत आरोपी ही गिरफ्तार हुए हैं।

इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि राज्य के 13 जिलों में दहाई के अंकों में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। उदयनारायणपुर में तो एफआईआर दर्ज न होना 94 फीसदी तक है। जबकि, खेजुरिया में हिंसा की 54 घटनाओं में से एक की भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। NHRC टीम की इस रिपोर्ट से सूबे की सीएम ममता बनर्जी के उन दावों की पोल खुल गई है, जिसमें उन्होंने बड़े पैमाने पर हिंसा की खबरों को गलत और सरकार की छवि खराब करने की कोशिश बताया था। जबकि, हिंसा इतनी व्यापक हुई थी कि उत्तरी बंगाल के कई जिलों से करीब 400 लोगों को पड़ोसी राज्य असम में शरण लेनी पड़ी थी। इसके अलावा कई लोगों की हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।

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