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Bihar: जरासंध के प्रति उमड़ा सीएम नीतीश का प्रेम, विज्ञापन जारी कर कह दी ऐसी बात

nitish kumar

नई दिल्ली।….तो अब समझ में आ रहा है कि आखिर क्यों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से अनाप-शनाप बके जा रहे हैं। पहले जहां भरी विधानसभा में महिलाओं के संदर्भ में सारी हदें पार करते हुए अपमानजनक टिप्पणी तो इसके कुछ दिनों बाद आरक्षण बिल पेश करने के दौरान वरिष्ठ नेता जीतनराम मांझी के लिए सबके सामने तू-तड़ाक वाली भाषा का इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं, जब इन सभी अर्मायादित रवैयों से उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने छुठ की छुट्टियों में भी कटौती कर दी। जिसकी वजह से उन्हें आम लोगों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा था, लेकिन उनके व्यवहार से जाहिर हो रहा है कि नीतीश कुमार को आम जनता के रोष से कोई फर्क नहीं पड़ता है। वो तो बस अपने मन की मर्जी के मालिक हैं। जी हां….बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप। अगर आपको यकीन ना हो रहा हो, तो उनकी इस नई हरकत को ही देख लीजिए, जिसमें उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वो ईश्वर उपासक नहीं, बल्कि दैत्य उपासक हैं। आखिर क्या है पूरा माजरा। जानिए के लिए पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट।

जानिए पूरा माजरा

दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जरासंध महोत्सव मनाया, जिसमें कई लोगों को आमंत्रित किया गया और यह जानकर ताज्जुब होता है कि आखिर कैसे लोगों ने मुख्यमंत्री के इस आमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया। यह बात समझ से परे हैं कि जहां एक तरफ नीतीश कुमार छठ जैसे महापर्व की छुट्टियों में कटौती कर रहे हैं। देवियों की तरह पूजे जाने वाली बेटियों के बारे में भरी विधानसभा में अपनी घटिया सोच की नुमाइश की, तो वहीं दूसरी तरफ अब जरासंघ जैसे दैत्यों के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर रहे हैं, जिस अवगत होने के बाद जनता के बीच में उनके प्रति आक्रोश चरम पर पहुंच चुका है। आपको बता दें कि फेसबुक पर एक पोस्ट काफी सुर्खियों में है, जिसमें नीतीश कुमार को वो विज्ञापन काफी चर्चा में है, जिसमें वो लोगों से जरासंघ महोत्सव में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। आइए, अब जरा आगे आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर जरासंध था कौन?

जरासंध था कौन

महाभारत काल में जरासंध सर्वाधिक शक्तिशाली राजाओं में से एक माना जाता था। महाभारत के प्रसंगों के मुताबिक, वह बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था। बताया जाता है कि उसके पास राज्य में सबसे ज्यादा विशाल सेना थी। जिसकी वजह से उससे सभी भय खाते थे। वो बहुत ही क्रूर शासक था, जो कि किसी पर भी दया नहीं करता था। आइए, अब जरा जान लेते हैं कि आखिर उसका जन्म कैसे हुआ था।

कैसे हुआ था जरासंध का जन्म

मगध के सम्राट बृहद्रथ की दो पत्नियां थीं। जब दोनों में से किसी को भी संतान नहीं हुई तो एक दिन वो महात्मा चाण्कोशिक के पास गए। उन्हें इस बारे में सबकुछ बताया तो महात्मा ने उन्हें फल दिया और कहा कि इसे जाकर अपनी पत्नी को खिला देना तो इससे तुम्हें संताना हो जाएगा। जिसके बाद राजा ने इसे अपनी दोनों पत्नियों को खिला दिया, जिससे दोनों को संतान उत्पन्न हुए, लेकिन उत्तन्न हुई संतान का शरीर आधा था, जिसके बाद दोनों रानियों ने बच्चे को फेंक दिया। वहीं, रास्ते से गुजर रही एक राक्षस ने दोनों को आपस में जोड़ दिया। इसके बाद दोनों रानियां वहां पहुंचे तो राजा यह देखकर अचंभित हो गए कि कैसे उनके बालक को जोड़ दिया, तो इस पर राजा ने उस राक्षस से उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम जरा बताया। इससे खुश होकर राजा ने अपने पुत्र का नाम जरासंध रखा।

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