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Train Accidents India: रेल हादसों में टॉप पर हैं नीतीश, ममता, लालू प्रसाद यादव, फिर अश्विनी वैष्णव से इस्तीफे की मांग क्यों ?

mamta nitish lalu

नई दिल्ली। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को जो रेल हादसा हुआ वो इतना दर्दनाक है कि उससे पूरा देश सदमे में है। रेल मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक हर कोई पल पल के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। हादसे की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनसे वाकई ये सवाल तो उठता है कि आज जब दुनिया में गरीब से गरीब देश में रेल के इतने भीषण हादसे बीते एक दशक से नहीं देखे गए हैं तब भारत जैसे हर आयाम पर तरक्की करते देश में ये हादसा हुआ कैसे। इतना सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट, आईटी सेक्टर में इतना विकास और फिर ये हादसे सवाल तो खड़े करते ही है ? लेकिन इस पूरे मामले को लेकर देशभर में जो सियासत हो रही है वो अलग ही स्तर की है।

हर तरह से राहत बचाव में जुटे रहे रेल मंत्री फिर भी उठे सवाल

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हर वो काम कर रहे हैं जो इतने बड़े हादसे के बाद एक रेल मंत्री के तौर पर उन्हें करने चाहिए। लेकिन विपक्ष हादसे की संवेदनशीलता को देखने की जगह उनसे इस्तीफे की मांग कर रहा है। क्या वाकई ऐसे मौके पर जब हादसे के दो दिन बाद तक पटरियां टूटी पड़ी थीं, रेल के कोचों में लाशें फंसी पड़ी थीं रेल मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए, फिर एक नए रेल मंत्री को बनाया जाए.. उससे क्या बदल जाएगा। क्या मात्र कैबिनेट के फेरबदल से सब ठीक हो जाएगा ? बड़ा सवाल है.. और जो नितीश कुमार, ममता बनर्जी, लालू प्रसाद यादव अश्विनी वैष्णव से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं उनके समय में तो सबसे ज्यादा रेल हादसे हुए, कई बार रेल पटरियों से उतरी कई बार सैकड़ों की संख्या में लोग मारे गए। इस मामले में नितीश कुमार सबसे आगे हैं। उनके समय में सबसे ज्यादा रेल हादसे हुए, सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई।

पूर्व में किस रेल मंत्री के कार्यकाल में कितने रेल हादसे हुए हैं..

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बालासोर ट्रेन हादसे के बाद जब मौके पर पहुंची तो रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन्हें हालात से रूबरू कराना चाहा, लेकिन वहां पर भी ऐसे संवेदनशील मौके पर वो सियासत करती नजर आई, वो लगातार रेल मंत्री से बहस करती रही। एक तरफ बचाव कार्य चल रहा था दूसरी तरफ घटनास्थल पर पहुंचकर सियासी रोटी सेंकना कितना सही है ये आप लोग तय कीजिये।

एक तरफ पड़ी थीं लाशें और ममता कर रही थी जनसभा

2010 में ममता बनर्जी जब देश की रेल मंत्री थी तब पश्चिम बंगाल के सैंथिया में बड़ा रेल हादसा हुआ था, इस रेल हादसे में सैकड़ों लोग मारे गए थे, बालासोर की ही तरह तब भी बड़े दर्दनाक मंजर दिखाई दिए थे, लेकिन ममता बनर्जी ने क्या किया ? एक तरफ लाशें पड़ी थीं, हादसे के बाद घटनास्थल से मलबा हटाया जा रहा था दूसरी तरफ वो थोड़ी देर के लिए वहां पहुंची और फिर वापस चली गई और जाकर एक TMC की एक रैली में शामिल हुईं। वहां उन्होंने 1993 में यूथ कांग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं के मारे जाने के एक स्मृति दिवस में भाग लिया। इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है… आज ममता बनर्जी उनको कर्तव्य याद दिला रही हैं जो लगातार मौके पर बने हुए हैं।

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