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Uttarakhand Laborers Resque: उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 14 दिन से फंसे मजदूरों को अब तक निकालने में कामयाबी नहीं, अब बनाई गई ये योजना

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उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को अब तक निकालने में सफलता नहीं मिली है। मजदूरों को सिलक्यारा सुरंग में फंसे हुए आज 14 दिन हो गए हैं। शुक्रवार को सुरंग में मलबा काटने के लिए जिस ऑगर मशीन को चलाया जा रहा था, उसे सामने फिर लोहे की सरिया आने के कारण बंद करना पड़ा। अब आज से फिर मजदूरों को बचाने के लिए नए सिरे से काम होगा। सुरंग में 800 मिलीमीटर की पाइप बिछाई जा रही थी। ऑगर मशीन से मलबा काटकर काफी पाइप बिछा भी लिए गए थे, लेकिन मजदूरों से करीब 8 मीटर दूर रहते ऑगर मशीन को बंद करना पड़ा। अब योजना बनी है कि फंसे हुए 41 मजदूरों से ही अंदर से मलबे को हटवाया जाएगा। करीब 8 मीटर मलबा हटाने के बाद मजदूर यहां से निकल सकेंगे।

इसके अलावा सुरंग में ऊपर से डेढ़ फुट का रास्ता बनाने की भी योजना है। इसके लिए जरूरी मशीन शुक्रवार को सिलक्यारा सुरंग तक पहुंच गई थी। इस मशीन से सुरंग को काटने में सफलता मिलने की उम्मीद विशेषज्ञों ने जताई है। मौके पर एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अलावा विदेशी बचावकर्मी भी मौजूद हैं। इन सभी को हर संभव कोशिश करने के लिए कहा गया। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी मौके पर ही कैंप कर रहे हैं। धामी से पीएम नरेंद्र मोदी भी लगातार मजदूरों के बचाव कार्य के ताजा अपडेट ले रहे हैं। पीएमओ से अफसरों को भी पीएम मोदी ने यहां तैनात कराया है। इसके अलावा पीएमओ में पहले सलाहकार रहे भास्कर खुल्बे को भी मजदूरों के बचाव अभियान पर नजर रखने के लिए सिलक्यारा सुरंग के मौके पर भेजा गया। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी यहां मौके का जायजा ले चुके हैं। मजदूरों को बचाने के लिए सुरंग के मुहाने पर स्थानीय देवता बाबा बौखनाग का मंदिर भी स्थापित किया गया।

सिलक्यारा से बड़कोट तक बन रही सुरंग में 12 नवंबर की सुबह करीब 5.30 बजे धंसाव हो गया था। करीब 60 मीटर लंबाई में मलबा सुरंग में भर गया। इस मलबे के पीछे मजदूर फंस गए। मजदूरों तक पहले पानी की पाइपलाइन से ऑक्सीजन और थोड़ा बहुत भोजन भेजा जा रहा था। फिर बड़ा पाइप बिछाकर उनको खिचड़ी, दाल, चावल, पनीर की सब्जी वगैरा भेजा जाने लगा। मजदूरों के पास सुरंग के भीतर करीब 2 किलोमीटर का सुरक्षित स्थान है। ऐसे में फिलहाल खतरा तो नहीं है, लेकिन सभी 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकालना पहली प्राथमिकता बन गई है।

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