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OBC Reservation: अब NEET परीक्षा में इतनी सीटों पर OBC और गरीब सवर्णों को मिलेगा रिजर्वेशन, अब तक नहीं मिलता था फायदा

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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसले में नीट परीक्षा के जरिए मेडिकल कॉलेजों की एमबीबीएस-बीडीएस और पीजी कोर्स में ओबीसी छात्रों को 27 फीसदी और गरीब सवर्णों को 10 फीसदी सीटें देना तय किया है। आइए हम बताते हैं कि इससे इन वर्गों के कितने छात्रों को फायदा होगा। देश के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में 80055 एमबीबीएस, 26949 बीडीएस, 50720 आयुष और 525 वेटनरी कॉलेज की सीटों के लिए नीट परीक्षा होती है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से सबसे ज्यादा सीटें गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में हैं। बात करें एमबीबीएस की, तो पूरे देश के 272 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 41388 सीटें हैं।

एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष, वेटरनरी कॉलेजों की एमबीबीएस-बीडीएस और एमडी,एमएस कोर्स के लिए कुल सीटों में से 15 फीसदी केंद्रीय कोटे की होती हैं। इन्हीं 15 फीसदी सीटों पर अब ओबीसी और गरीब सवर्णों को रिजर्वेशन मिलेगा। जबकि, शेड्यूल्ड कास्ट के छात्रों के लिए पहले से ही 15 फीसदी और शेड्यूल्ड ट्राइब के लिए 7 फीसदी रिजर्वेशन जारी है और यह उन्हें मिलता रहेगा।

मोदी सरकार के फैसले से एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और वेटरनरी कॉलेजों में 1500 सीटों पर ओबीसी और गरीब सवर्णों को 550 सीटों पर एडमिशन मिलेगा। जबकि, पोस्ट ग्रेजुएशन यानी एमडी, एमएस और एमडीएस में ओबीसी के लिए 2500 और गरीब सवर्ण छात्रों को 1000 सीटों पर रिजर्वेशन मिल जाएगा।

केंद्र सरकार के भी देश में कई मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें दिल्ली का सफदरजंग, लेडी हार्डिंग, अलीगढ़ का एएमयू और वाराणसी का बीएचयू भी है। इनमें भी तत्काल प्रभाव से यह रिजर्वेशन लागू हो गया है। ओबीसी के लिए 27 फीसदी रिजर्वेशन पहले ही था, लेकिन यह मेडिकल कॉलेज के एडमिशन पर लागू नहीं था। जबकि, गरीब सवर्णों को नौकरियों और पढ़ाई में 10 फीसदी रिजर्वेशन देने का ऐतिहासिक फैसला मोदी सरकार ने ही किया था। दोनों ही वर्गों के छात्र इस रिजर्वेशन को मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए देने की मांग काफी समय से कर रहे थे।

अगर संसद से महिला रिजर्वेशन बिल भी पास हो जाता है, तो उच्च शिक्षण संस्थानों में बेटियों को भी रिजर्वेशन दिया जा सकता है, लेकिन बीजेपी को छोड़कर कोई और पार्टी इस बिल को पास कराने के लिए आगे नहीं आ रही है। इसी वजह से यह बिल कई बार संसद में लाए जाने के बाद भी जहां का तहां पड़ा हुआ है।

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