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Modi Government: ओबीसी आरक्षण को लेकर बड़ा कदम, संविधान संशोधन बिल लोकसभा से पास, पक्ष में पड़े 385 वोट

Parliament session

नई दिल्ली। 10 अगस्त को लोकसभा में संविधान (127वां) संशोधन बिल The Constitution (One Hundred and Twenty Seventh) Amendment Bill पास हो गया। वोटिंग के दौरान इस बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े, जबकि इसके विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। गौरतलब है कि यह संशोधन बिल कम से कम दो-तिहाई बहुमत से लोकसभा से पारित हो गया है। इस बिल के पास होने से पहले लोकसभा में विस्तार से चर्चा की गई। सरकार की तरफ से चर्चा के दौरान बताया गया कि इस बिल के आने के बाद राज्य सरकारों को अधिकार मिल जाएगा कि वो अपने राज्य में ओबीसी लिस्ट तैयार कर सकें। इसके पास होने से अब राज्य सरकारें मराठा आरक्षण जैसे कई दिनों से चले आ रहे मामलों पर फैसला लेने के लिए आजाद होंगी। बता दें कि सदन में इस बिल का किसी दल ने भी विरोध नहीं किया।

वहीं कांग्रेस समेत बाकी अन्य सभी विरोधी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है। इसके अलावा विपक्षी दलों की तरफ से आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाने की मांग रखी गई। वैसे सदन में मानसून सत्र के दौरान आज का दिन पहला ऐसा दिन रहा कि बिल पर शांतिपूर्ण तरीके से चर्चा की गई। ओबीसी से जुड़े इस बिल का पूरे विपक्ष ने समर्थन किया।

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारत मंत्री वीरेंद्र कुमार ने विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सदन में सभी दलों ने जिस तरह से बिल का समर्थन किया वो स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीति और नीयत दोनों साफ है। वीरेंद्र कुमार ने कांग्रेस को जवाब दिया कि, जब 102वां संशोधन लाया गया था, तब भी कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था। इसलिए आज कांग्रेस के पास इसपर सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने मराठा आरक्षण पर जवाब देते हुए कहा कि ये राज्य का विषय है और अब केंद्र ने उन्हें इस पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 102वां संविधान संशोधन 2018 में लाया गया। ओबीसी कमीशन आपने बनाया लेकिन इसके साथ ही आपने राज्यों के अधिकारों का हनन कर दिया। बहुमत की बाहुबल से आप इस  सदन में अपनी मनमानी कर रहे हैं। प्रदेशों से जब इसको लेकर आवाजें सामने आने लगीं तब जाकर आपने इस तरह का कदम उठाया। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल का हम पूरी तरह से समर्थन करते हैं और इसके साथ ही हम मांग करते हैं कि 50 फीसदी की बाध्यता पर कुछ किया जाए।

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