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Manipur Violence: मणिपुर के जिरीबाम में आगजनी कर रही भीड़ पर सुरक्षाबलों की फायरिंग से युवक की मौत, हिंसा रोकने के लिए मैतेई और कुकी इलाकों के बीच बड़े पैमाने पर की गई नाकाबंदी

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इंफाल। मणिपुर में हिंसा जारी है। मणिपुर के जिरीबाम जिले के बाबूपुरा में रविवार रात को उग्र भीड़ ने बीजेपी और कांग्रेस के दफ्तरों पर हमला बोला। भीड़ को उपद्रव से रोकने के लिए सुरक्षाबलों को फायरिंग करनी पड़ी। इसमें 20 साल के युवक की मौत हो गई। गोली लगने से एक अन्य युवक के घायल होने की खबर है। घटना जिरीबाम थाने के आधा किलोमीटर दूरी पर होने की जानकारी मिली है। वहीं, मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए सेना और केंद्रीय बलों ने घाटी और पहाड़ी इलाकों में 100 से ज्यादा नाके लगाए हैं। ये नाके ऐसे लगाए गए हैं, ताकि घाटी में बसने वाले मैतेई लोग पहाड़ी इलाकों की तरफ न जा सकें और न ही पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के लोग घाटी की तरफ आ सकें। वहीं, हाल के दिनों में हिंसा की तीन घटनाओं की जांच की जिम्मेदारी एनआईए को दी गई है। इन घटनाओं में लोगों की जान गई थी और हालात बिगड़े थे।

वहीं, दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को मणिपुर की हिंसा को रोकने के लिए उच्चस्तरीय बैठक की थी। अमित शाह सोमवार को भी मणिपुर के मसले पर बड़ी बैठक करने वाले हैं। पहले ही अमित शाह के निर्देश पर सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल मणिपुर पहुंच गए हैं। वो सीआरपीएफ के जवानों को कोऑर्डिनेट कर मणिपुर में हिंसा को रोकने का काम करेंगे। मणिपुर में 11 नवंबर को कुकी उग्रवादियों ने जिरीबाम में सीआरपीएफ के कैंप पर हमला बोला था। सीआरपीएफ की जवाबी कार्रवाई में 11 कुकी आतंकी मारे गए थे। जिसके बाद बाकी उग्रवादी तो भाग गए, लेकिन पास के शरणार्थी कैंप से मैतेई समुदाय की 3 महिलाओं और 3 बच्चों को अगवा कर लिया। इन महिलाओं और बच्चों के शव शुक्रवार और शनिवार को जिरीमुख और बराक नदी से मिले थे। जिसके बाद एक बार फिर हिंसा का तांडव शुरू हो गया था।

मणिपुर में बीजेपी की सरकार है और हिंसा का नया दौर शुरू होने पर उसकी सहयोगी एनपीपी ने समर्थन वापस ले लिया है। एनपीपी के प्रमुख मेघालय के सीएम कोनराड संगमा हैं। हालांकि, एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद भी बीजेपी की सरकार के गिरने का खतरा नहीं है। मणिपुर में मई 2023 में हिंसा तब शुरू हुई थी, जब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा और आरक्षण देने पर विचार करे। इसका कुकी समुदाय ने विरोध किया। वहीं, मैतेई समुदाय का दावा है कि अंग्रेजों के शासन में उनको आदिवासी का दर्जा मिला हुआ था। मैतेई समुदाय हिंदू धर्म मानता है। जबकि, कुकी समुदाय में ज्यादातर ईसाई धर्म मानने वाले हैं।

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